अंतिम नवरात्र के हवन पूजा की सही व पूरी विधि

 

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

नवरात्री में होने वाली प्रतिदिन पूजा को बहुत महत्त्व दिया जाता आ रहा हैं। अष्टमी या नवमी को होने वाले हवन से कह सकते हैं , की माता को पूर्णाहुति देकर हम माता को हवन पूजा से प्रसन्न कर सकते हैं। धर्म वैज्ञानिक पंडित का कहना हैं की , हवन महज एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि वैज्ञानिक प्रक्रिया भी हैं। हवन या यज्ञ साधक तन और मन को शुद्ध करने के साथ साथ हमारे आस – पास के वातावरण को भी शुद्ध कर सकते हैं। हवन के धुएं से प्राण में संजीवनी शक्ति का संचार होता हैं। हवन के माध्यम से बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकता हैं। और साथ ही हवन से 94प्रतिशत जीवाणुओं का भी नाश होता हैं। घर और परिवार के सभी सदस्यों के लिए हवन से शुद्धि होना बहुत जरुरी होता हैं। और हवन के साथ मंत्र का जप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती हैं।

ये हैं कुछ धार्मिक महत्त्व

हवन भारतीय परम्परा अथवा सनातन धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड हैं। हवन कुंड में अग्नि के माध्यम से देवता के निकट पहुंचाने की प्रक्रिया को यज्ञ कहते हैं।

हवन कुंड क्या है

हवन की अग्नि का निवास स्थान अग्नि प्रज्वलित करने के पश्चात इस पवित्र अग्नि मे फल , शहद , घी , काष्ठ इत्यादि पर्दाथो की आहुति बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। और ऐसा भी माना जाता हैं की यदि आपके के पास किसी बुरी आत्मा इत्यादि का प्रभाव हो तो हवन प्रक्रिया इससे मुक्ति दिलाएगी। और शुभकामना ,स्वास्थ्य ,एव घर की समृद्धि के लिए भी हवन कराया जाता हैं।

ऐसे दे पूर्णाहुति

हवन के बाद गोले में कलेवा बांध कर फिर चाकू से काट के ऊपर के भाग सिंदूर लगा कर घी भरकर चढ़ा दे। और इसे वोली कहा जाता हैं। फिर नारियल में छेद कर घी भरकर लाल तूल लपेटकर धांगा बांधकर पान ,सुपारी ,लौंग,जायफल , बताशा ,अन्य प्रसाद चढ़ा कर पूर्ण आहुति मंत्र बोले।