एक अद्भुत मूर्ति कलाकार जिसकी मूर्तिकला के कायल हैं सभी

रिपोर्ट :-संवाददाता (विजय गिरी गोस्वामी)
जौनपुर सुइथाकला :- जौनपुर जिले की पश्चिमी सीमा के अंतिम छोर पर स्थित शाहगंज तहसील अंतर्गत सुइथाकला विकासखंड के कम्मरपुर ग्राम सभा में एक ऐसा अद्भुत मूर्ति कलाकार की प्रतिभा लोगों के बीच उभर कर सामने आई है जिसके द्वारा निर्मित प्रतिमाओं को देखकर हर कोई कौतूहल तथा आश्चर्य से भर जाता है। लोग जिसकी प्रशंसा शब्दों में करके हार जाते हैं ऐसे अद्भुत कलाकार का नाम अमर कुमार है। इनके पिता का नाम यश कुमार है। अमर कुमार की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में संपन्न हुई तत्पश्चात उत्तर- प्रदेश के प्रतिष्ठित तथा लोकप्रिय कॉलेज श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर जौनपुर में जूनियर हाई स्कूल से लेकर इंटरमीडिएट तक की शिक्षा पूर्ण हुई। अमर ने अपनी मूर्तिकला के प्रति रुझान के बारे में बताया कि जब वह प्रकृति के सौंदर्य को देखते हैं तो उनके मन में वैसा ही हूबहू बनाने को प्रेरित होते हैं तो उनके मन में भी भावनाएं जागृत होती थी कि ऐसी मूर्तियां वह क्यों नहीं बना सकते। धीरे-धीरे लगन और बढ़ती गई और वह मन ही मन स्वतः मूर्तियां बनाने का अभ्यास करने लगे और निरंतर इसी कार्य में लगे रहे जिससे इनके अंदर मूर्तियां बनाने का निखार आने लगा जिसके परिणाम स्वरूप धीरे-धीरे एक मूर्तिकार के रूप में उनकी प्रसिद्धि बढ़ती चली गई। अमर ने यह भी बताया कि इंटर कॉलेज समोधपुर के प्रधानाचार्य डॉ रणजीत सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उनको एक सफल मूर्तिकार बनने के लिए प्रेरित किया तथा अपने कार्यों एवं लगन के प्रति पूर्णतया समर्पित होकर कार्य करने के लिए प्रेरणा दी और उन्होंने मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ कहा ” तुम अपनी लगन के बल पर एक दिन अच्छे तथा श्रेष्ठ मूर्तिकार बनोगे।”उन्होंने हर प्रकार से सहयोग तथा उत्साहवर्धन भी किया।अमर ने कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉ रणजीत सिंह ,पद्म श्री राम वी. सुतार, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी सिंह तथा ललित कला संकाय के विभागाध्यक्ष संजीव किशोर गौतम को अपने जीवन का प्रेरणा स्रोत बताया। अमर की बनाई गई कलाकृतियों से हर कोई पहली बार देखकर ही हतप्रभ हो जाता है और अपने आप प्रशंसा के शब्द बाहर निकल ही पड़ते हैं । इतना ही नहीं ऐसा बताया जाता है कि अमर की बनाई हुई कलाकृतियों को देखकर इंटर कॉलेज समोधपुर सहित अन्य कॉलेजों के छात्रों में भी चित्रकला तथा मूर्तिकला के क्षेत्र में आगे बढ़ने की होड़ सी मच गई। काफी छात्र देखा देखी मूर्तियों के निर्माण में भी लग गए । सन 2015- 16 में कर्नाटक के मैसूर में नेशनल जम्बूरी कैंप का आयोजन हुआ था जिसमें देश के सभी प्रदेशों के स्काउट गाइड छात्रों ने प्रतिभाग था जिसमें स्किल ओ रामा प्रदर्शनी बेडेन पावेल मूर्तिकला पर श्री गांधी स्मारक इंटर कॉलेज समोधपुर जौनपुर के स्काउट छात्र मूर्तिकार अमर ने उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर प्रथम स्थान प्राप्त किया था। इस मूर्ति को बाद में कर्नाटक राज्य स्काउट गाइड मुख्यालय को भेंट कर दिया गया था जो सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर उनके मुख्यालय में आज भी मुख्यालय की शोभा बढ़ा रही है। इसी समय में अमर के मन में ऐसा विचार आया कि वह इंटर कॉलेज समोधपुर को कुछ मूर्तियां उपहार स्वरूप भेंट करेंगे। मां सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, दो हिरणों तथा ग्लोब पर बनी एक लड़की जो स्वतंत्रता की अवधारणा पर आधारित है आदि मूर्तियां बनाकर भेंट की जो आज भी इंटर कॉलेज समोधपुर में आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। इसके अलावा उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रणवीर सिंह बिष्ट छात्रावास के लिए मां सरस्वती की प्रतिमा का निर्माण किया जिसे देखकर लोग आज भी सराहना करते हैं। मुलायम सिंह यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘लायन सफारी इटावा’ के लिए पार्क में लगी तमाम मूर्तियां तथा पार्क का मॉडल शैलेष चौरसिया के नेतृत्व में इनके द्वारा ही तैयार किया गया था। अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘गुलाबो- सिताबो’ में थर्मोकोल आर्टिस्ट के रूप में भी काम किया है। अमर को प्राप्त होने वाले पुरस्कारों में 17 वां नेशनल जंबूरी, राज्यपाल पुरस्कार, राज्य ललित कला एकेडमी उत्तर प्रदेश (कुंभ मेला 2019), 18वां स्काउट गाइड चैंपियनशिप अवार्ड, राज्य संग्रहालय लखनऊ द्वारा प्रमाण – पत्र प्रदान किया गया। विगत गणतंत्र दिवस के अवसर पर लखनऊ की प्रदर्शनी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मूर्ति का निर्माण अमर के द्वारा ही किया गया था। तमाम महापुरुषों, स्मारकों सहित हजारों मूर्तियों का निर्माण, पर्यावरण संरक्षण , कोविड- 19 की जांच पर भित्ति चित्र व प्रदर्शनी के माध्यम से भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
अमर कुमार ने अपने हृदय के उद्गार को यक्त करते हुए कहा है –

” अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करना ही कला है हमारा माध्यम चाहे कुछ भी हो, कला में यदि हम स्वतंत्र रूप से सृजन करते हैं तो निश्चय ही अपनी कला के माध्यम से एक सच्चाई दुनिया के सामने रख सकते हैं क्योंकि कला सबसे पर आधारित होती है।”