‘कराची बेकरी’ से लोगों ने की नाम बदलने की मांग

KARACHI BAKRY

पुलवामा हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हो गए। पुलवामा हमले के बाद पूरे देश की जनता आक्रोशित है . ऐसे में कही भी पकिस्तान से जुडी कोई भी चीज अगर नजर आ जाये तो सोच सकते है कि लोगो का गुस्सा किस हद तक नजर आएगा . बेंगलुरु की प्रसिद्ध कराची बेकरी को भी लोगो का गुस्सा झेलना पड़ा . क्योकि कराची पाकिस्तान की एक जगह का नाम है . बेंगलुरु के स्थानीय निवासियों के विरोध के चलते बेकरी मालिकों को अपनी दुकान का नाम ढकना पड़ गया. बेंगलुरु में लोग प्रसिद्ध कराची बेकरी और कैफे को बंद करने की मांग कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ जनता को बेकरी के नाम पर आपत्ति है क्योंकि यह पाकिस्तान के एक शहर का नाम है . यह बेकरी अपने बिस्कुट और अन्य बेक्ड सेवियों के लिए प्रसिद्ध है.

बंगलूरू की करीब छह दशक पुरानी कराची बेकरी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर कहा है, “दिल से बिलकुल भारतीय”। इसके बाद बेकरी ने कहा है कि बेकरी चेन के संस्थापक बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आकर बस गए थे। जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले को लेकर बंगलूरू की कराची बेकरी में शुक्रवार को कुछ लोगो ने तोड़फोड़ की थी। इन लोगों ने स्टोर के नाम में पाकिस्तानी शहर (कराची) का नाम होने को लेकर आपत्ति जताई। शुक्रवार को करीब 8 बजे कुछ लोग इंदिरानगर में 100 फीट की रोड लेकर बेकरी पहुंचे और नारेबाजी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि दुकान के नाम से कराची शब्द हटाया जाए। इन लोगों ने दुकान के नाम से कराची शब्द ढकने को मजबूर कर दिया।

कराची बेकरी की दिल्ली में भी दुकाने हैं। स्टाफ का कहना है कि उन्हें पुलिस ने सावधान रहने को कहा है। ये ब्रांड 1953 में स्थापित किया गया था। ये एक भारतीय कंपनी है। कंपनी के उत्पाद काफी मशहूर हैं जिसके कारण कंपनी का व्यापार न केवल भारत बल्कि विदेश में भी होता है। उनके फेसबुक पेज को एक लाख 18 हजार से भी ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। कंपनी ने अपना बयान ट्विटर अकाउंट पर भी शेयर किया है। इस बेकरी चेन की स्थापना खानचंद रामनानी ने 1953 में की थी। इसकी दिल्ली और बंगलूरू के अलावा मुंबई में भी दुकाने हैं।