कर प्रशासन में सुधार पर जोर ; वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बजट ,


शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

वैश्विक मंदी की पृष्ठभूमि में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बजट कई मायनों में अपने आप में पहला है। यह इस दशक का पहला बजट है। यह डिजिटल तरीके से पेश किया जाने वाला भी पहला बजट है। वित्तमंत्री के मुताबिक मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए हर समर्थन और सुविधा देने को तैयार है। बजट में इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल के सामने फेसलेस कार्यवाही की व्यवस्था का प्रविधान किया गया है।

: – छह बिंदुओं पर फोकस रहा बजट

आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने लक्ष्य के साथ पेश किए गए इस बजट में मुख्य रूप से छह बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इनमें से एक है कर प्रशासन को कारगर बनाना। ‘टैक्स टेररिज्म’ और करदाताओं का विश्वास जीतने में टैक्स अथॉरिटीज के असंगत विवेक को बाधा को मौन रूप से स्वीकार करते हुए बजट में कर प्रशासन को सुव्यवस्थित बनाने के लिए कई घोषणाएं की गई हैं। बजट में घोषित किए गए प्रत्यक्ष कर प्रस्तावों के केंद्र में छोटे और मध्यम करदाताओं के लिए एक विवाद समाधान समिति का गठन है। पात्र करदाताओं में वो लोग शामिल होंगे जिनकी कर योग्य आमदनी 50 लाख या उससे कम और जहां प्रस्तावित विविधताएं 10 लाख से कम होंगी। बजट प्रस्तावों में एडवांस रूलिंग्स की कार्यप्रणाली और प्रभाव को लेकर स्पष्ट रूप से माना गया है कि अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग्स (एएआर) का कामकाज प्रभावी नहीं है और इसे खत्म करने की सिफारिश की गई है। इसके स्थान पर एडवांस रूलिंग्स के लिए एक से अधिक बोर्ड गठित करने का सुझाव दिया गया है। इस बोर्ड में दो सदस्य होंगे और जो चीफ कमिश्नर रैंक से नीचे के अधिकारी नहीं होंगे। इनकम टैक्स

: – ट्रिब्यूनल की व्‍यवस्‍था से आएगी पारदर्शिता

इस बजट में इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल के सामने फेसलेस कार्यवाही की व्यवस्था का प्रविधान किया गया है। बजट प्रस्तावों में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि फेसलेस योजना को टैक्स ट्रिब्यूनल की कार्यवाही के लिए ठीक उसी तरह से उपलब्ध कराया जाना चाहिए जैसे कि फेसलेस अपील योजना में कराया जाता है। इससे कर प्रशासन में पारदर्शिता आने के साथ ही जवाबदेही भी बढ़ेगी।टैक्स ट्रिब्यूनल को तरजीह
न्याय वितरण तंत्र में यह वास्तव में एक साहसिक पहल है और इसलिए वित्त मंत्रालय को बहुत ही सावधानी के साथ आगे कदम बढ़ाना होगा, क्योंकि कारगर तरीके से प्रभावी न्याय वितरण के मामले में टैक्स ट्रिब्यूनल को सक्षम संस्थानों के रूप में सम्मान प्राप्त है।

: – निपटान आयोग की साख पर सवाल

प्रशासनिक सुधारों की कवायद जारी रखते हुए बजट प्रस्तावों में ‘आयकर निपटान आयोग’ को खत्म करने की बात कही गई है। एक फरवरी, 2021 से प्रभावी इसके कामकाज को रोक देने की सिफारिश की गई है। हाल के वर्षों में एक संस्था के तौर पर निपटान आयोग की साख गिरी है और कई कानूनी विवाद सामने आए हैं। बजट प्रस्तावों में कर आकलन के मामलों को दोबारा खोले जाने की अवधि को घटाकर तीन साल कर दिया गया है। 50 लाख रुपये से कम के टैक्स में गड़बड़ि‍यों के मामले में तीन साल पुराने केस में नोटिस नहीं जारी किए जाएंगे।