केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कि जारी गाइडलाइन के द्वारा प्रदूषण पर रोक

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

“देश तभी अच्छा और सुन्दर लगता हैं जब देश में रहने वाले सफाई से रहने वाले हो। हमारे आस-पास के नदी और आवासीय क्षेत्रों में डेरी व् गौशाला खोलने कि इज़ाज़त व जगह नहीं मिलेगी। क्योकि गाय भैसो के मलमूत्र पर्यावरण को दूषित कर रहे व् नुकसान पंहुचा रहे हैं। और इस समस्या को ध्यान में रखते हुए। “केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड” ने प्रथम बार इस समस्या को मद्देनजर रखते हुए कुछ जरुरी गाइडलाइन जारी करी हैं। डेरी व् गौशाला और पर्यावरण संरक्षण प्रबंधन गौशाला मलमूत्र कि साफ सफाई पर विशेष रखरखाव करना अनिवार्य कर दिया हैं। और निगरानी कि जिम्मेदारी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के स्थानीय निकायों व् प्रदूषण को नियंत्रण बोर्डो एव समितियों को दी गयी हैं। देश में गाय और भैसो कि अधिक संख्या हैं।”

देश में 13 करोड़ से अधिक गाय और भैस हैं

दिल्ली को छोड़कर देश के 36 राज्यों में केंद्र शासित प्रदेशो में 13 करोड़ 63 लाख 35 हजार गाय -भैस हैं। और जिनमे गायो कि गिनती में 8 करोड़ 13 लाख 53 हजार हैं। और वही भैसो कि आकड़ा 5 करोड़ 49 लाख 82 हजार के आस पास हैं। और जो कि अभी तक दिल्ली का आकड़ा जुड़ नहीं पाया हैं। अब जब देश में गाय भैसो कि संख्या इतनी हैं तो उनके मलमूत्र से भी तो देश के हमारे पर्यावरण को नुकसान होता हैं।

आइये जानते हैं, कि मल मूत्र से पर्यावरण को कैसे नुकसान पहुंचता हैं।

एक स्वस्थ भैस या गाय व् सांड रोज मे १५से २० किलो गोबर व इतने ही लीटर मूत्र करते हैं। और देखा जाये तो अधिकतर लोग इसे डेरी या नालो से बहा देते हैं। और इस कारणवंश नाली व नाला जाम हो जाता हैं जिससे नदिया भी दूषित हो जाति हैं। जिससे गोबर से निकलने वाली प्रदूषित गैसों से वायु मंडल ही नहीं बल्कि गन्दी दुर्गन्ध भी फैल जाती हैं।

  पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचने के लिए सरकार के द्वारा कुछ अहम कदम

> डेरी हो या फिर गौशाला अब गांव या शहर के कोसो दूर कि दुरी पर ही खुलेंगे

> आवासीय स्थान के पास से डेरी और गौशाला कि दुरी 200 मीटर एव अस्पताल व स्कूल कि 500 मीटर होगी 

> और जहा बाढ़ आने कि सम्भावना रहती हैं उस स्थान पर डेरी और गौशाला नहीं खुल सकेंगे

गाय भैस के लिए पिने व नहाने का पानी 150 लीटर प्रतिदिन पशु से ज्यादा नहीं मिलेगा। हर स्थानों कि डेरी एव गौशला का गंधा पानी व् मूत्र और गोबर कि उचित व्यवस्था करनी होगी। क्योकि यह जमीन और पानी में नहीं जाना चाहिए। और सबसे अधिक जरुरी बात कि प्रतिदिन डेरी व गौशाला कि सफाई करनी होगी। ताकि वायु प्रदूषण और दुर्गंध न फैले।