केवल कागजों पर ही सिमट कर रह गया विकास चारों तरफ फैली प्रधान जी की नाकामियों ग्रामीण परेशान


संवाददाता मोहम्मद वैश

रीडर टाइम्स न्यूज़

विकास के नाम पर सरकार के बड़े-बड़े वादों के बीच कुछ ऐसे ही लोग भी छुपे है। जो सरकार को लगातार बदनाम करने पर तुले हुए हैं। वह ना तो सरकार द्वारा बताए गए गाइडलाइंस को मानते हैं। और ना ही किसी नियम कायदे को मान्यता देते हैं। सारे नियम एवं कानून उनके लिए तो केवल मज़ाक ही हैं। ऐसा ही एक मामला विकासखंड गोंदलामऊ के ग्राम पंचायत असल का है। जहां पर प्रधान जी ने ना तो कोई काम ही कराया और ना ही किसी ग्रामीण को सरकारी योजनाओं का लाभ ही लेने दिया और अगर किसी को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला भी है। तो वह है। प्रधान जी के चहेते। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं।

ऐसा ग्रामीणों का कहना है। ग्रामीणों की माने तो प्रधान जी ने ना तो किसी को सैनिटाइजर दिया ना ही मास्क दिया और ना ही स्वच्छता पर ही कोई ध्यान दे रहे हैं। प्रधान जी ना तो स्वच्छ भारत अभियान का मान रख रहे हैं। और ना ही किसी को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर दिला पा रहे हैं। और अगर किसी को कॉलोनी मिली भी है। तो वह केवल प्रधान जी के चहेते हैं। या कुछ ऐसे लोग हैं। जिन्होंने प्रधान जी को एवं संबंधित अधिकारियों को रिश्वत दी और अगर किसी ने रिश्वत नहीं दी तो उनकी कॉलोनी दी ही नहीं गई या तो अपात्र घोषित करवा दिया गया। प्रधान जी की नाकामियों का काला चिट्ठा तो तब खुल गया जब प्रधान जी ने कागजों पर तो दिखाया कि उन्होंने ग्राम में बहुत विकास कराया है एवं पंचायत भवन, प्राथमिक विद्यालय के चारों ओर चहारदीवारी एवं हर जगह हैंडपंप तथा स्ट्रीट लाइट लगवाए एवं मरम्मत कराई हैं, किंतु जब हमारी टीम पड़ताल करने ग्राम पहुंची तो वहां विकास के नाम पर तो केवल मजाक ही दिखाई दिया।

गांव में कुछ लोगों के यहां तो भारत स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय बने किंतु उनका प्रयोग कोई करता ही नहीं दिखाई दिया स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाए गए शौचालयों में लोग घर का कूड़ा भर रहे हैं। एवं घर का अन्य सामान भर रहे हैं किंतु उनका प्रयोग तो कोई कर ही नहीं रहा है। एक तरफ प्रधान जी दिखा रहे हैं। कि हमने गांव में सभी तरफ सड़क बनवाई एवं पेयजल की उचित व्यवस्था की है किंतु ना तो हैंडपंप ही नजर आए और ना ही सही रूप से सड़क ही दिखाई दी। प्रधान जी ने एक जगह स्ट्रीट लाइट लगवाई भी है। तो वह अपने घर के सामने एवं सुलभ शौचालय बनवाया भी तो वह अपने घर के सामने, जिसमें हमेशा ताला पड़ा रहता है। सार्वजनिक सुलभ शौचालय का उपयोग समस्त जनता जनार्दन को करना चाहिए किंतु जब उसमें हमेशा ताला ही पड़ा रहता है | तो ऐसे में जनता प्रयोग करें भी तो कैसे ? सिर्फ इतना ही नहीं यदि कोई ग्रामीण प्रधान जी से इसकी शिकायत करने जाता है तो प्रधान जी उसे डरा एवं धमका देते हैं। ग्रामीणों का कहना है। कि प्रधान जी एक दबंग किस्म के आदमी हैं। पंचायत भवन का दावा करने वाले प्रधान जी हमेशा अपनी बैठके अपने चहेतों के साथ मयूर ढाबे पर करते हैं और यदि कोई ग्रामीण अपनी किसी शिकायत को लेकर प्रधान जी के पास जाता है तो उसे भद्दी भद्दी गालियां देते हुए भगा देते हैं। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों एवं उच्च अधिकारियों से की किंतु जब किसी ने इसमें कोई संज्ञान नहीं लिया। तब आखिरी में ग्रामीणों ने हार मान कर लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहीं जाने वाली मीडिया का सहारा लिया।

जब हमारी टीम ग्रामीणों का हाल जानने गांव पहुंची तो मीडिया को देखकर ग्रामीणों का दर्द फूट पड़ा। जब हम ने ग्रामीणों से बात करने की कोशिश की तो ग्रामीणों में प्रधान जी के प्रति खासा रोष दिखाई दिया। इस गुस्से का कारण और कुछ नहीं प्रधान जी की नाकामियों एवं जनता से की जा रही अभद्रता ही है। ऐसे में यह सवाल उठता है जब जनता ने उच्च अधिकारियों से इतनी बार शिकायतें की तो अधिकारियों ने जनता की बात क्यों नहीं सुनी ? क्या प्रधान जी खौफ एवं रुतबा का इतना बढ़ गया है। कि उच्च अधिकारियों में भी इतनी हिम्मत नहीं बची कि वो प्रधान जी के खिलाफ जा सके ? आखिर जनता को प्रधान जी के द्वारा की जा रह हैं। अभद्रता का सामना कब तक करना पड़ेगा, कब होगी प्रधान जी पर कार्रवाई ? इस बात का जवाब तो केवल अधिकारी ही दे सकते हैं। किंतु जब अधिकारी ही मौन है तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए ।