‘ कोरोना काल में नहीं बटेगा डिब्बा बंद दूध और कृत्रिम आहार, लगी रोक ,

संवाददाता मार्कण्डेय शुक्ला

रीडर टाइम्स

* डिब्बा बंद दूध और कृत्रिम आहार से घटती है रोगप्रतिरोधक छमता 
*  आजकल महिलाएं कृत्रिम आहारों पर ज़्यादा निर्भर

लखनऊ : लॉक डाउन 4 शुरू हो गया है और हर तरफ अफरा तफरी क माहौल है. प्रदेश में प्रवासी मज़दूर लगातार घर वापस आ रहे हैं जिसकी वजह के कोरोना संकट बढ़ता जा रहा है. अब तक 17 लाख प्रवासी प्रदेश में आ चुके हैं और यह क्रम जारी है।ऐसे में प्रदेश में हज़ारों जगहों पर प्रवासी गर्भवती महिलाओं और बच्चों को रास्तों में मदद हेतु कंपनियां और संस्थाएं डब्बा बंद दूध और कृतिम आहार बाँट रही है ताकि वो अपना और बच्चों का पेट घर सकें। ऐसे में डब्ल्यूएचओ व यूनिसेफ का सुझाव है कि कृत्रिम आहार के सेवन से गर्भवती व धात्री महिलाओं की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। ऐसी महिलाओं को कोरोना से संक्रमित होने का खतरा अधिक रहता है। इसके मद्देनजर ही आइसीडीएस ने सभी डीपीओ व सीडीपीओ को कृत्रिम आहार के वितरण पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। शिशुओं के लिए डिब्बा बंद दूध और कृत्रिम शिशु आहारों की बिक्री बढ़ाने और अपने उत्पाद का प्रचार करने के लिए निर्माता कंपनियों द्वारा ऐसे तमाम संगठनों के साथ मिलकर डिब्बा बंद दूध और कृत्रिम आहार का निशुल्क वितरण कर रहे हैं, जिसकी वजह से तमाम महिलाएं सहूलतन बच्चों को स्तन पान नहीं करा रही हैं। ऐसे में विश्व स्वास्थ संगठन का कहना है डिब्बा बंद दूध आदि के सेवन से 6 माह से कम उम्र वाले बच्चों के मृत्यु दर के बढ़ने की अधिक संभावना रहती है। इसलिये कम से कम एक साल तक बच्चों को कृत्रिम आहार देने से बचना चाहिए।

इसी के मद्देनज़र निदेशक आईसीडीएस शत्रुघ्न सिंह ने सभी जिलाधिकारियों के साथ ही डीपीओ व सीडीपीओ को विभिन्न कंपनियों व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा डिब्बा बंद दूध व अन्य कृत्रिम आहारों के निशुल्क वितरण को तत्काल प्रतिबंधित करने के लिए पत्र लिखा है।