गरीबी के संघर्ष के आगे घुटने टेक देता हैं कोरोना वायरस

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

इस समय अगर सभी कि निगाहें किसी बात पर टिकी हैं तो वो है। कोराेेना की वैक्सीन। हर किसी को इंतजार है कि कब वैक्सीन आए और कब इस मुसीबत से निजात मिले। सामान्य जीवन जीने वाले हर कोई व्यक्ति बेताब है। यह वायरस अब तक करीब 62,010,669 लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। 1,449,373 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पूरी दुनिया के लोग इस समय अपने – अपने तरीके से इसका सामना कर रहे है। ऐसे में कुछ ऐसी रिपोर्ट को प्रकाशित किया है। जिसके परिणाम चौंकाने वाले हैं। इस रिपोर्ट से यह साफ हो रहा है कि , गरीबी से संघर्ष कर रहे लोगों ने कोरोना को बिना वैक्सीन के ही मात दे दी है। और उनके जीवन के संघर्ष से कहीं न कहीं कोरोना भी हार गया है। मलिन बस्तियों में रहने वाले व्यक्ति कोरोना के हारने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

झुग्गी में कोरोना का असर कम, एसी कमरों में रहने वालों पर बरपा रहा कहर

राजधानी लखनऊ की पॉश कॉलोनियों में कोरोना थमने का नाम नहीं ले रहा है। और व्यक्ति भी अब हिम्मत हार चुके हैं। यहां रहने वाले लगातार संक्रमित निकल रहे हैं। वहीं, इन कॉलोनियों के आस – पास बसी मलिन बस्तियों में वायरस का कोई असर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई मलिन बस्तियों में कराई गई कोरोना की जांच में एक भी पॉजिटिव नहीं मिला है। इस नतीजे से स्वास्थ्य विभाग के अफसर भी हैरान हैं।

  • कानपुर गंदगी से हार गया कोरोना, पता ही नहीं चला और एंटीबॉडी ने मार दिया, सीरो सर्वे में खुलासा

जिन क्षेत्रों में धूल – धक्कड़, धुआं अधिक रहा, वहां पर कोरोना को शिकस्त मिली है। गंदगी के कारण लोगों की इम्यूनिटी अधिक मजबूत रही। नगर में हुए सीरो सर्वे में निम्न मध्यम वर्ग के लोग अधिक रहे हैं। इनमें करीब 21.22 फीसदी में लोगों को कोरोना होने की हवा नहीं लग पाई। विशेषज्ञों का कहना है कि गंदगी के कारण संक्रमण से जूझते रहने वालों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो जाती है।