गायत्री परिवार के लाखों कार्यकर्ताओं ने एक साथ आहूति डाली

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 विश्व शांति सुख, समृद्धि, मानव एवं प्राणी मात्र के कल्याणार्थ यज्ञ किया गया।
 राष्ट्र कुण्डली जागरण का यह एक शुभारम्भ है।
 प्रतिवर्ष दोगुनी संख्या में इसकी बढ़ोत्तरी होगी और 2026 में (वंदनीया माता भगवती देवी के जन्म शताब्दी के अवसर पर) एक करोड़ लोग एक साथ आहूति डालेगें, यह इसकी पूर्णाहुति होगी इसे राष्ट्र कुण्डली जागरण कहा जायेगा।

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लखनऊ : अखिल विश्व गायत्री परिवार गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या, शैलबाला पण्ड्या एवं डॉ. चिन्मय पण्ड्या के आवाहन पर पूरे विश्व में गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं ने अपने घरों में, आस-पास के घरों में तथा पूरे विश्व के गायत्री परिवार के केन्द्रों में विश्व शांति सुख, समृद्धि, मानव एवं प्राणी मात्र के कल्याणार्थ हेतु 2 जून 2019 प्रातः 9ः00 बजे से एक साथ एक समय में लाखों लोगों ने गायत्री मंत्र की आहुतियाँ डाली।

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गायत्री परिवार के मीडिया प्रभारी उमानंद शर्मा ने बताया कि यह गृह-गृह गायत्री अभियान की प्रतिवर्ष दो गुनी संख्या में बढ़ोत्तरी होगी और परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जन्मशताब्दी वर्ष 2026 में एक करोड की संख्या में एक साथ गायत्री यज्ञ करेगें इस अभियान की पूर्णाहुति होगी। यह अभियान गायत्री तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में चलता रहेगा। श्री शर्मा ने बताया कि जो भाई-बहन अपने घर में यज्ञ नहीं कर पा रहे है, उनके अनुरोध पर इन्दिरा नगर स्थित गायत्री ज्ञान मंदिर इन्दिरा नगर में सामूहिक गायत्री यज्ञ की व्यवस्था की गयी, जिसमें काफी संख्या में उपस्थित होकर यज्ञ आहुति प्रदान की।

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इस प्रकार की व्यवस्था लखनऊ के अन्य गायत्री केन्द्रों पर भी थी। श्री शर्मा ने कहा इस अभियान का उद्देश्य है गायत्री उत्कृष्ठ चिंतन का प्रतीक है, यज्ञ, त्याग परमार्थ का देवता है। जिस दिन मनुष्य का चिंतन उत्कृष्ठ होगा एवं उसके जीवन में त्याग-परमार्थ के भाव विकसित होगें उसे ‘‘युग निर्माण’’ कहा जा सकता है। गायत्री परिवार के उपजोन प्रभारी श्री के.के. भारद्वाज ने ऋषि संदेश दिया एवं उमानंद शर्मा द्वारा यज्ञ कार्यक्रम सम्पन्न कराया गया। इस कार्यक्रम में सावित्री शर्मा, आर.के. चौहान, अनिल भटनागर, निर्मल राना, सुनीता चौहान, निर्मला सिंह, इत्यादि का विशेष रहा। कार्यक्रम के समापन के बाद प्रसाद के साथ-साथ ज्ञान प्रसाद के रूप में ऋषि का साहित्य निःशुल्क भेंट किया गया।

(उमानंद शर्मा)
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