जीवन का असली मंत्र : सभी की ख़ुशी का सच ; हर वक़्त मुस्कुराना ख़ुशी का संकेत नहीं ,

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

यदि आप किसी अच्छी या सुख देने वाली चीज के पीछे भागते हैं, तो जरूरी नहीं कि वह आपको खुशी ही दें। इसके बजाय वह आपको दुख भी पहुंचा सकती है। यह एक ऐसा सच है, जिसे आप अनदेखा नहीं कर सकते। आपने अक्सर यह महसूस किया होगा, पर यह समझकर भी खुशी पाने का दबाव कम नहीं होता। खुश तो रहना है पर हरदम ऐसा संभव नहीं। यह दबाव दरअसल हमारी सामाजिक नासमझी के कारण होता है। नासमझी के कारण ही हम जिंदगी में आने वाले हर अनुभव को समझकर उसका स्वागत नहीं कर पाते, बल्कि खुशी के पीछे भागते रहते हैं। खुशी के सच को समझने के लिए ये बातें समझनी हैं।

हर वक्त मुस्कुराना खुश रहने का संकेत नहीं। ज्यादातर लोग खुशी को नकारात्मक भावों की अनुपस्थिति मानते हैं यानी आपको हर वक्त खुश रहना है। हमेशा हंसते रहना है। ठहाके लगाना है, आनंद में रहना है। नकारात्मक एहसासों के आगे गूंगा हो जाना, कोई प्रतिक्रिया नहीं करना। पर जरा सोचिए क्या वास्तव में ऐसा संभव है? बेशक नहीं। खुशी एक संपूर्ण एहसास है। यह नकारात्मक एहसासों की अनुपस्थिति नहीं है। हमारे लिए जितना सकारात्मक एहसासों का महत्व है, उतना ही नकारात्मक एहसासों का भी है। बस इन दो एहसासों के बीच बेहतर प्रबंधन आ जाए तो हम बेहतर महसूस करेंगे। इसे आप खुशी कह सकते हैं।

खुशी आपको सफल बनाने में सहयोग करती है। आज हम सफलता को लेकर काफी दबाव में रहते हैं। औरों से आगे निकलने की होड़ और अधिक कमाई के लिए जुटे रहना सफलता से जुड़ गया है। प्रसिद्धि से इसे जोड़ दिया गया है, पर क्या इससे खुशी मिलती है? शायद नहीं। हां, जीतने का एहसास जरूर होता है। अपने प्रयासों के कारण जीत का एहसास स्वाभाविक है, लेकिन जल्द ही हम पहले की तरह जमीन पर होते हैं। सबके साथ, उनकी तरह ही सामान्य होते हैं। हारने वाले जीतने वाले से कम खुश होते हैं, ऐसा नहीं है। जरूरत की आवश्यकताएं पूरी हो जाएं तो उसके बाद अधिक पैसा या शोहरत खुश करे, यह भी जरूरी नहीं। हां, आप खुश हैं तो यह एहसास आपको सफल होने में सहयोग करेगा।

वर्तमान में खुश बने रहने की यह खूबी आपको अधिक क्षमता से भर देगी, काम में मन लगेगा और आप अधिक उत्पादक बन सकेंगे। अंत में यह जरूर याद रहे कि हम सब अलग-अलग हैं तो हमारे लिए खुशी भी अलग होगी। यह हमारे व्यक्तित्व के अनुसार होगा। कोई बड़ी कंपनी का मालिक बनकर भी खुश नहीं होगा तो कोई बढ़ई का काम करके भी खुश होगा। किसी को घर पर मजा आएगा तो कोई बाहर काम करने में खुशी का अनुभव कर लेगा।

समय और ऊर्जा न करें बर्बाद

एक बार ग्रीस के दार्शनिक सुकरात से कोई परिचित मिलने आया। वह सुकरात के मित्र के बारे में बताने आया था, पर सुकरात ने उनकी बात सुनने से पहले तीन शर्ते रख दीं। पहली, वह बात सच हो, जिसके बारे में उनका परिचित आश्वस्त हो। दूसरा, वह बात अच्छी हो और तीसरी, शर्त यह कि वह बात उपयोगी भी हो। पर परिचित उक्त तीनों शर्त पूरी नहीं कर पा रहा था।

दरअसल, उसने सुकरात के मित्र की ओलाचना किसी अन्य व्यक्ति से सुनी थी। इसलिए उसे सच नहीं कहा जा सकता था। इसी प्रकार बाकी की दोनों शर्तो पर भी वह खरा नहीं उतर सका था, क्योंकि वह बात न अच्छी थी और न ही उपयोगी। सुकरात ने तीनों शर्तो पर असफल होने के बाद उनसे पूछ लिया, ‘जो बात न सच है न अच्छी है और न ही उपयोगी, तो आप मुङो क्यों सुनाना चाहते हैं?’ अब उस परिचित के पास कोई जवाब नहीं था। व्यर्थ, अनुपयोगी बातों में रहकर समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी है, वह सुकरात के इस संदेश को समझ गया था।