टिड्डी दल के अण्डे देने की आशंका को देखते हुए सभी सम्बन्धित विभाग समन्वित रणनीति बनाएं जिला कलेक्टर 

ब्यूरो हैड राहुल भारद्वाज

रीडर टाइम्स

जयपुर : जिला कलेक्टर डॉ.जोगाराम ने जयपुर जिले में मई माह के प्रारम्भ से अब तक हुए टिड्डी दल के आक्रमण, टिड्डी दल की रोकथाम, सब्जी एवं चारे की फसलों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों एवं टिड्डियों के यहां रुकने एवं अण्डे देने की स्थिति में आगामी फसलों एवं पर्यावरण हो होने वाले नुकसान की आशंका के सम्बन्ध में शुक्रवार को कृषि विभाग एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक की।

जिला कलेक्टर ने बताया कि अब तक जयपुर जिले में इस मौसम में 10 मई से लेकर 29 मई तक टिड्डी दलों के पांच आक्रमण हो चुके हैं। पूरी रणनीति बनाकर इससे निपटने में जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग अब तक सफल रहे हैं। दिन में कई किलोमीटर लम्बे स्वाम्र्स को रात्रि में बैठने पर औसतन 60 से 80 प्रतिशत तक खत्म करने में सफलता मिली है। उन्होंने बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों को टिड्डी दल पर दवाई का छिड़काव करते समय हर प्रकार की वॉटर बॉडी का ध्यान रखने एवं सभी निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए। उन्होंने टिड्डी नियंत्रण की कार्यवाही वाले क्षेत्र में ऑपरेशन अवधि में बिजली की आपूर्ति जारी रखने के लिए जयपुर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं ताकि स्वार्म पर स्प्रे के लिए पानी के टेंकरों को भरा जा सके।

जोगाराम ने बताया कि जिले में टिड्डी दल की आहट के साथ ही मई माह के प्रारम्भ में जिला प्रशासन, जिला परिषद, कीट विज्ञानी, कृषि विभाग के विभिन्न अधिकारियों की जिला स्तर, उपखण्ड, ब्लॉक एंव तहसील स्तर पर समितियां गठित की गई हैं। इसके अलावा जोबनेर कृषि महाविद्यालय एवं दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केन्द्रों के विशेषज्ञों की मास्टर्स ट्रेनर्स एवं मोटिवेटर्स की समिति भी गठित की गई है। सम्पूर्ण जिले को ‘‘लोकस्ट इनवेजन एनडेंजर्ड एरिया’’ भी घोषित किया जा चुका है। टिड्डी नियंत्रण के लिए लगाई गई टीमों को स्वार्म की ट्रैकिंग एवं खात्मे के लिए ट्रैक्टर माउण्टेड स्प्रेयर, पानी के टेंकर्स, अग्निशमन वाहन एवं अन्य वाहन भी उपलब्ध करा दिया गए। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों से चर्चा के बाद टिड्डियो के अण्डे देने की आशंका को देखते हुए सभी सम्बन्धित विभागों को समन्वित रणनीति बनाने के निर्देश दिए। क्योंकि यह कीट अपने अल्प जीवन में जमीन में कई बार में लाखों की संख्या में अण्डे देता है। फिलहाल 29 मई को आया स्वार्म हवा के रूख के साथ फिर लौटने की आशंका बनी है और आने वाले दिनों बारिश होने की स्थिति में स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

10-15 दिन में अण्डे देने की स्थिति में आ सकती हैं टिड्डियां

उपनिदेशक कृषि विस्तार जिला परिषद जयपुर बी.आर.कड़वा ने बताया कि टिड्डी का लाइफ साइकिल तीन माह या सौ दिन ही होता है। इसमें यह तीसरे माह में कई बार अण्डे देती है। जयपुर में आया स्वार्म अभी यंग है और अण्डे देने की स्थिति में नहीं है लेकिन 10-15 दिन बाद ये अण्डे देने की स्थिति में आ सकते हैं। तब इनके नियंत्रण के लिए रणीनीति बदलनी होगी।

29 की रात को स्वार्म का 80 प्रतिशत खात्मा

बी.आर.कड़वा ने बताया कि जयपुर जिले में गुरूवार, 28 मई को दौसा से टिड्डियों के एक स्वार्म ने पुनः जमवा रामगढ में प्रवेश कर दोपहर बाद अलवर जिले में प्रवेश किया किन्तु हवा की तेज गति के कारण पुनः स्वार्म विभिन्न टुकडों में बढता हुआ जिले में पांच स्थानों पर सैटल हो गया।  ग्राम गोरेट, ग्राम पंचायत रायपुर में एक किमी चौड़ा व इतना ही लम्बा स्वार्म, इसी पंचायत के ग्राम जारूडा में, तीसरा खरड, चौथा बिजहार खाटाबाद में एवं पांचवा स्वार्म तूंगा पंचायत समिति के ग्राम गढ में सैटल हुआ। उन्होंने बताया कि 29 को रात्रि एक बजे अभियान प्रारम्भ किया गया। इसमें 16 ट्रैक्टर माउण्टेड स्प्रेर, तीन फायर बिग्रेड के वाहनों का उपयोग करते हुए कीटनाशी ‘‘लेम्डा साइलोथ्रीन पांच प्रतिशत’’ व ‘‘क्लोरोपाइरीफोस पचास प्रतिशत ईसी’’ के प्रयोग से 80 प्रतिशत से अधिक का खात्मा किया गया।