देख शीशे में खुद को, मुस्कुरा लेती हूँ मैं, बोलकर दिल की अनकही बाते – सोनाली त्रिपाठी

लेखिका सोनाली त्रिपाठी

रीडर टाइम्स न्यूज़

* कभी देख शीशे में खुद को,
       * खुद ही मुस्कुरा लेती हूँ मैं,

* पड़ती जब अकेली हूँ मैं,
      * खुद से ही बतिया लेती हूँ मैं,

* रहता प्रश्न मस्तिष्क में जब है,
      * खुद से ही सवाल कर लेती हूँ मै,

* सही और गलत क्या है ,
       * खुद ही फर्क कर लेती हूँ मैं,

* होता जब जीवन में दुख है,
      * खुद को संभाल लेती हूँ मैं,

* दिखावे का साथ ना चाहिए,
        * खुद को खुद ही काफी हूँ मैं,

* कभी देख शीशे में खुद को
          * खुद ही मुस्कुरा लेती हूँ मैं।