देवगौड़ा-कुमार स्वामी के दोनों हांथो में लड्डू

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                                           बढ़िया डील के आधार पर बनेगी कर्नाटक सरकार

नई दिल्ली:- कर्नाटक चुनावो ने इस कदर कन्फूजन का माहौल पैदा कर दिया हैं कि सभी दलों को अपनी जीत का भरोसा सा हो चला हैं| नतीजों के बाद स्थित साफ जरूर हो जाएगी लेकिन देवगौड़ा- कुमार के हाथ में सत्ता कि चाभी भले न हो लेकिन फ़िलहाल जनता दल सेक्युलर किंग मेकर की भूमिका में दिख रहा हैं|

मौजूदा और भावी मुख्यमंत्री का दावा करने वाले सिद्धरमैया ने दलित कार्ड खेलते हुए कहा हैं कि मै किसी दलित उम्मीदवार के लिए अपनी कुर्सी छोड़ सकता हूँ लेकिन भाजपा नेता येदुरप्पा ने सिरे से उनकी बात ख़ारिज करते हुए कहा हैं कि जब सत्ता ही छीन जाएगी तो कैसे बनाएंगे और कैसे बनेंगे क्योकि भाजपा का सत्ता में आना तय हैं|

सम्भावनाओ का बाजार गर्म 

अगर एग्जिट पोल कि मने तो जनता दल सेक्युलर यानि देवगौड़ा और कुमार स्वामी अचानक अहम् हो गए हैं या यूँ कहे कि पार्टी कोई भी जीते, भाजपा या कांग्रेस किंग मेकर तो जनता दल सेक्युलर ही होगा जबकि जनता दल सेक्युलर के सामने दोनों ही पार्टियों के साथ तारतम्यता बनाना बेहद कठिन हैं क्योकि दोनों ही पार्टियों से बीते सालो में अनुभव कड़वे ही मिले हैं लेकिन कुमार स्वामी महत्वाकांक्षी

व्यक्ति हैं ऐसे में वह दोनों ही दलों कि परफॉर्मेंस पर नजर रखेंगे और मौका मिलने पर यदि गेंद उनके पाले में आती हैं तो वह मुख्यमत्री पद कि मांग भी कर सकते हैं या बढ़िया डील कौन सी पार्टी ऑफर करेगी इसको समझने के बाद पिता पुत्र निर्णय लेने में सफल होंगे| लेकिन अगर बात कांग्रेस-भाजपा में किसी एक को चुनने कि होगी तो देवगौड़ा राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे मोर्चे की वकालत करने के लिए भाजपा के साथ को नकार सकते हैं| ऐसे में वह कांग्रेस के साथ जाना पसंद करेंगे लेकिन कुमार स्वामी सत्ता के लिए भाजपा का साथ देने से नहीं चूकेंगे |