पेयजल क्लोरिनेशन का कडाई से पालना सुनिश्चित करें-अधीक्षण अभियंता

                      जलापूर्ति के दौरान विशेष टीम द्वारा किया जा रहा है पेयजल में जीवाणु परीक्षण

रिपोर्ट:-ब्यूरो हेड(राहुल भारद्वाज)
दौसा :- कोरोना महामारी के प्रभाव को देखते हुए जिले में आमजन को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जलदाय विभाग कृत संकल्पित है, इस हेतु विभाग सप्लाई के दौरान विभिन्न स्थानों से जल नमूने लेकर मौके पर ही पानी का जीवाणु परीक्षण कर लोगों में स्वच्छ पेयजल के उपयोग के प्रति जागृति का भाव पैदा कर रहा है ।अधीक्षण अभियंता रामनिवास मीणा ने बताया कि पेयजल संग्रहण के दौरान भूतल जलाशय, स्वच्छ जलाशय ,उच्च जलाशयों में क्लोरीनेशन वास्ते सम्बंधित कार्मिकों को निर्देशित किया गया है । कोरोना महामारी के प्रभाव एवं जल जनित बीमारी की रोकथाम के लिए पेयजल के क्लोरीनेशन की प्रक्रिया बहुत कारगर है इसलिए कार्मिकों को पेयजल के क्लोरिनेशन प्रक्रिया का कडाई से पालना करने हेतु पाबंद किया गया है । क्लोरिनेशन प्रक्रिया को जांच करने के लिए फिल्ड में अन्य कार्मिकों को लगाया गया है जो क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के दौरान उपभोक्ताओं के घर-घर जाकर नल से सीधे ही नमूने लेकर पानी में क्लोरिनेशन की मात्रा की जांच कर रहे हैं। इस दौरान विभाग के कार्मिक आम जन को पानी में क्लोरिनेशन को जांचने के तरीके भी बता रहे हैं जिससे उपभोक्ताओं में स्वच्छ और जीवाणु रहित पेयजल के उपयोग के प्रति भाव जाग्रत हो रहा है ।

 

 

उन्होने बताया कि रविवार को जिला मुख्यालय स्थित बाबाजी की छावनी इलाके में जलापूर्ति के दौरान क्लोरिनेशन की जांच करने पहुंची टीम के परीक्षण के दौरान यहां निवास करने वाले अनील कुमार सैनी ने बताया कि टीम ने पानी का जीवाणु परीक्षण कर दिखाया है। पानी में ब्लिचिंग की मात्रा के विषय में बताया गया है। इस दौरान उपभोक्ताओं बताया कि क्लोरिनेशन होने से पानी के जीवाणु रहित होने की गांरटी मिलने के साथ साथ इससे पानी में दवा हाने का आभास होता है । इस दौरान कनिष्ठ अभियंता फुलसिंह मीणा ने बताया कि पानी को जीवाणु रहित बनाने के लिए क्लोरिनेशन की प्रक्रिया का कडाई से पालन किया जा रहा है। इस हेतु हैडवक्र्स पर 2.5 पीपीएम मात्र ब्लीचिंग पाउडर रखा जा रहा है। उन्होने बताया कि पेयजल में क्लोरीन की मात्रा जांच करने के लिए विभाग की ओर से किट उपलब्ध कराई गई है जिसके माध्यम से सप्लाई किए जा रहे पेयजल में क्लोरीन की मात्रा का पता लगाया जाता है साथ ही इस बात की संतुष्टी की जाती है कि पेयजल जीवाणु रहित है। उन्होने बताया कि बाबाजी की छावनी में किए गए जीवाणु परीक्षण के दौरान पानी में 0.5 पीपीएम मात्र क्लोरीनेशन पाई गई जो इस बात को प्रदर्शित करती है कि पानी जीवाणु रहित है। इस दौरान करीब आधा दर्जन स्थानों पर अनील सैनी, रामकिशन सैनी, महेश सैनी, गोपाल प्रजापत, सुरेश प्रजापत को जल नमूने लेकर पानी में क्लोरिनेशन की जांच करना बताया गया।