बिहार में रोजगार के बढ़ रहे अवसर , परंतु गाइडलाइन का पालन करना अब भी है जरूरी

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
बिहार के लिए यह सुखद संयोग है कि कोरोना नियंत्रण में वह अग्रणी राज्यों में शामिल होने के साथ रोजगार सृजन में आगे बढ़ रहा है। कि बिहार की बेरोजगारी दर में कमी आई है। इस साल सितंबर में राज्य में बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत थी जो बीते मई की तुलना में चार प्रतिशत कम हुई है। अब 10 प्रतिशत श्रम बल ही बेरोजगार है। यह स्थिति तब है कि जब राज्य में बड़े उद्यम नहीं हैं।

छोटे-मोटे उद्योगों और केंद्र तथा राज्य सरकार की विकास संबंधी योजनाओं-परियोजनाओं में ही श्रम बल की खपत है। हालांकि राज्य सरकार का इधर काफी जोर है कि बड़े उद्यमी बिहार आएं। हाल ही में एथनाल उत्पादन के लिए केंद्र सरकार ने कई लाइसेंस जारी किए हैं जिससे भविष्य में कुशल श्रमिकों को रोजगार मिलने की संभावना जगी है। देश में बिहार की गिनती बड़े श्रम बल वाले राज्य के रूप में होती है। पंजाब, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि में यहां से लाखों की संख्या में श्रमिक उद्योगों और कृषि कार्यो के लिए जाते हैं। कोरोना काल में इनके बिहार लौटने के बाद अब हालात सामान्य हुए तो इन्हें विमान, ट्रेन के टिकट तथा बसें भेजकर बुलवाया गया।

दरअसल राज्य में वैक्सीनेशन की गति तेज होने से दो फायदे हुए। पहला , कुशल श्रमिकों को दोनों टीके लगवाने के बाद दूसरे राज्यों में लौटने का जल्दी मौका मिल गया। दूसरा , प्रदेश में विभिन्न सरकारी परियोजनाओं , निर्माण क्षेत्र , उद्योगों और कारोबार के क्षेत्र में कामकाज तेजी से सामान्य हुआ जिसमें श्रम बल की खपत हो गई। आंकड़ों पर गौर करें तो देश की राजधानी दिल्ली में बेरोजगारी दर 16.8 प्रतिशत है। यही हाल हरियाणा का है। वहां यह दर 20.3 प्रतिशत है।

उद्योग-धंधे में पड़ोसी झारखंड को बिहार से बेहतर माना जाता है , लेकिन वहां बेरोजगारी दर 13.5 प्रतिशत है। बिहार ने बेरोजगारी की दर में लगातार सुधार किया है। बीते वर्ष विधानसभा चुनाव में रोजगार बड़ा मुद्दा भी बना था। उस समय सत्ताधारी दल ने फिर सरकार बनने पर बीस लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था। जाहिर है अवाम जानना चाहेगी कि सरकारी और निजी क्षेत्र, दोनों को मिलाकर एक साल में कुल कितनी नौकरियां दी गई हैं। यह आंकड़ा सामने आना चाहिए।