बुलेट के साइलेंसर फैला रहे ध्वनि प्रदूषण : जिम्मेदार मौन 

बुलेट                                           ध्वनि पप्रदूषण से  बुजुर्गों तथा मरीजों की निकल रही जान 


रिपोर्ट :संवाददाता(गोपाल द्विवेदी)
हरदोई :- जिला मुख्यालय हरदोई की सड़कों पर रेट्रो साइलेंसर लगी बुलट मोटर साइकिलें नियम व कानून ताक में रखे हुए धड़ल्ले से दौड़ रही है और प्रसाशन व जिम्मेदार मौन बने हुए हैं । पूरे शहर में दो चार बुल्लेट गाडियां तो समान्य साइलेंसर वाली हैं बाकी सभी लोगों ने अपनी अपनी गाड़ियों के साइलेंसर मोडिफाइड करवा रखें हैं जो कि बेहद तेज व कर्कश आवाज निकालते हुए सड़कों पर गुजरते हैं | चूँकि इनमे से ज्यादातर लोग धनाढ्य परिवारों से ताल्लुक रखते हैं जिस कारण दिन रात शहर में हुड़दंग मचाने वाले बुलेट चालकों पर ट्रैफिक विभाग की ओर से अथवा पुलिस की और से कभी कोई कार्रवाई नहीं की जाते है।

उल्लेखनीय है कि लोगों ने अपना रुआब जमाने के लिए बुलेट एनफील्ड दुपहिया के मूल साइलेंसर हटाकर उसकी जगह ज्यादा शोर करने वाले साइलेंसर फिट करा रखे हैं जिस वजह से सड़क पर दौड़ते समय उनकी दुपहिया से बेहद भड़काऊ ध्वनि निकलती है जिससे आम जनों , बुजुर्गों  तथा  मरीजों को  भारी परेशानी का सामना करना पड़ता  है डाक्टरों की माने तो इस शोर से सबसे जयादा कष्ट  तो हार्ट पेशेंट को होता है, बुलेट से पटाखे की आवाज से हार्ट अटैक का भी खतरा  बना रहता है |

अगर देखा जाये तो  मोटर एक्ट  52 /191 ( वाहन में बदलाव करना )  और 120 /190 (2 )सीएमवीआर एक्ट यानी ध्वनि प्रदूषण एक्ट की तहत इन पर पुलिस व प्रशासन द्वारा कार्यवाही तथा चालान होना चाहिए और इन एक्ट्स के अंतर्गत वाहन चालकों पर दो हजार रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है लेकिन जुरमाना तो दूर इन पर रोक तक लगाने के लिए  किसी जिम्मेदार के कान पर जूँ नहीं रेंगती दिखाई पड़ रही है

नियम के अनुसार आबादी वाले क्षेत्र में 55 डेसिबल तक की ध्वनि को ही सामान्य माना जाता है और किसी भी बाइक से उत्पन्न होने वाली ध्वनि 55 डेसिबल से कम ही होनी चाहिए। लेकिन जब  लोग बुलेट का साइलेंसर बदलवा लेते हैं  तो ये 100 से भी ज्यादा डेसिबल का ध्वनि प्रदूषण करता है  जो कि गैरकानूनी है।

देश के कई  शहरों में इन पर पूर्णतया प्रतिबन्ध तक लगा हुआ है और अपने प्रदेश मुख्यालय की पुलिस द्वारा भी लगातार इन पर सख्ती बरती जा रही है  लेकिन  हरदोई के वाशिंदे पुलिस और प्रसाशन की और टाक लगाये बैठे हैं कि उन्हें  कब     इस शोर से निजात     मिलेगी