भीमा कोरेगांव हिंसा में पुलिस ने नक्सलियों से संपर्क रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओ के 8 ठिकानो पर की छापेमारी

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महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले को लेकर कई जगह पुलिस ने कई मा‍नवाधिकार कार्यकर्ताओं के घर और ठिकानों पर छापेमारी की है | पुलिस ने इस दौरान माओवादियों से संबंध रखने के शक में हैदराबाद में रह रहे क्रांतिकारी लेखक और माओवादी विचारक वरवरा राव के अलावा मुंबई में वरनॉन गोंजालेव्‍स, अरुण परेरा, छत्‍तीसगढ़ में सुधा भारद्वाज और गौतम नवलेखा को हिरासत में लिया है |

 

 

पुलिस ने मंगलवार सुबह दिल्ली, मुंबई, रांची, गोवा और हैदराबाद में सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों, लेखकों को पत्रकारों के घर छापे मारे, सूत्रों के मुताबिक, पुणे स्थित स्वरगेट पुलिस थाने की तरफ इन लोगों की गिरफ्तार का आदेश आया था |

 

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दिल्ली के बदरपुर में ही वकील सुधा भारद्वाज को भी हिरासत में लिया गया है | उनके भी लैपटॉप, फोन, पेन ड्राइव सीज किए गए हैं | पुलिस ने सुधा से उनके सभी ईमेल के एक्सेस देने को कहा है | सुधा के साथ-साथ उनकी बेटी अनु भारद्वाज के ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी भी मांगी गई है |

 

 

पुलिस ने हैदराबाद में कवि, वामपंथी विचारक और एक्टिविस्ट वरवरा राव के घर पर भी छापेमारी की, इस दौरान वहां पर काफी संख्या में भीड़ भी एकत्रित हो गई |

 

 

इसके अलावा पुणे में भी भीमा कोरेगांव हिंसा से जुड़े मामले में छापेमारी की, ये छापेमारी एक्टिविस्ट अरुण फरेरिया के घर ठाणे में की गई, बताया जा रहा है कि पहले वे मुंबई में रहते थे |

 

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अरुण फरेरिया ने आजतक से बात करते हुए कहा कि सुबह 6 बजे से उनके घर पर रेड चल रही है, लेकिन उन्हें अभी ये नहीं पता है कि पुलिस सिर्फ छानबीन करेगी या फिर गिरफ्तार भी करेगी, उन्होंने कहा कि वह बिल्कुल निर्दोष हैं |

 

 

अरुण फरेरिया की पत्नी ने कहा कि जब तक ये छापेमारी चल रही है, तबतक वे कोई बात नहीं कर सकते हैं, गौरतलब है कि अरुण को पहले भी कई बार गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन हर बार वह बाहर आ जाते हैं, अरुण पिछले काफी समय से मुंबई में कई आंदोलनों में हिस्सा लेते आ रहे हैं |

 

 

आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में जून में हुई गिरफ्तारी में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे | पुलिस का दावा था कि तब गिरफ्तार कई लोगों के पास से ऐसी चिट्ठी मिली थी, जिसमें ये लिखा था कि नक्सली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे | नक्सली पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरह ही पीएम मोदी की हत्या करना चाहते थे |

 

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दरअसल, इस साल जून में माओवादियों की एक चिट्ठी सामने आई थी | जिसमें राजीव गांधी की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने का खुलासा हुआ था | 18 अप्रैल को रोणा जैकब द्वारा कॉमरेड प्रकाश को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया कि हिंदू फासिस्म को हराना अब काफी जरूरी हो गया है | मोदी की अगुवाई में हिंदू फासिस्ट काफी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में इन्हें रोकना जरूरी हो गया है |

 

 

इसमें लिखा गया था कि मोदी की अगुवाई में बीजेपी बिहार और बंगाल को छोड़ करीब 15 से ज्यादा राज्यों में सत्ता में आ चुकी है | अगर इसी तरह ये रफ्तार आगे बढ़ती रही, तो माओवादी पार्टी को खतरा हो सकता है | इसलिए वह सोच रहे हैं कि एक और राजीव गांधी हत्याकांड की तरह घटना की जाए |

 

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इस चिट्ठी में कहा गया कि अगर ऐसा होता है, तो ये एक तरह से सुसाइड अटैक लगेगा | हमें लगता है कि हमारे पास ये चांस है | मोदी के रोड शो को टारगेट करना एक अच्छी प्लानिंग हो सकती है |

 

 

आपको बता दें कि भीमा कोरेगांव युद्ध की 200वीं वर्षगांठ के दौरान नये साल के दिन पुणे में दलित समूहों और दक्षिणपंथी हिन्दू संगठनों के बीच संघर्ष हो गया था | जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी | 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एलगार परिषद का आयोजन किया गया था | इस परिषद के दूसरे दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई थी | हिंसा के लिए एलगार परिषद के आयोजन पर भी आरोप लगाया गया था |