भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती एलडीए की प्रियदर्शनी नगर कॉलोनी

संवाददाता रीडर टाइम्स न्यूज़

उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई तो लोगों ने उम्मीदों की खिड़कियां खोल विकास के घर आने का स्वप्न देख लिया | लोगों की सोच थी कि भ्रष्टाचार पीछे की गली से निकल जाएगा | लेकिन यह क्या अब तो भ्रष्टाचार ने इतना बड़ा मुंह खोल लिया कि उसके आगोश में हर गली चौराहा कुछ कहने के लायक ही नहीं बचे. सरकार खुलकर हर मद में पैसा खर्च करने को तैयार है| लेकिन उस मद के पैसे का उपभोग आखिरकार कौन कर रहा है|जो सरकार सोचती होगी| नई नई स्कीम को लॉन्च कर हम बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं| जनता बहुत ज्यादा खुश हो गई लेकिन सरकार के फंड जनता तक उस के विकास में लग रहा कि नहीं इसकी देखरेख उन्हीं भ्रष्टाचारियों के हाथ में है |जो सत्ता धारी नेताओं के आगे पीछे कर ठेका अपने नाम करवा लेते हैं| और अपनी मर्जी से समाज के ठेकेदार बन जाते हैं| जो विकास कार्य भादो के महीने तक के लिए करते है| सरकार पांच बरस रहे लेकिन विकास व निर्माण कार्य में छह महीने के लिए बरसाती मेंढक की तरह आकर चला जाता है| मतलब विकास के कार्य 6 महीने भी नहीं टिक पाते आप समझ ही सकते हैं | किस तरह की मटेरियल का यूज़ होता होगा ऊपर से हिस्सेदारी सभी को चाहिए तो फिर भ्रष्टाचार खत्म कहां हुआ यह तो बढ़ता ही चला गया |

खैर मामला है , राजधानी लखनऊ का जहां सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एलडीए की कॉलोनी प्रियदर्शनी जो थाना मड़ियांव अलीगंज क्षेत्र में है | वहां सांसद राजनाथ सिंह के कोटे से रोड के विकास का टेंडर पास हुआ | लेकिन ठेकेदार पूरे रॉब में मोहल्ले वासियों से सुविधा शुल्क ले लेकर सरकारी मेटेरिअल से लोगों के चबूतरे तक तैयार कर रहे हैं | मतलब जो सड़क दस साल बाद बन रही लेकिन उसमें भी मानक के अनुरुप कार्य नहीं हो रहा हल्के मटेरियल से रोड तैयार कर दिया गया| कुल मिलाकर कह सकते हैं कि मानक विहीन सड़क में हो रहा भ्रष्टाचार के साथ घोटाला भला आप ही बताएं जो मटेरियल सड़़क के मानक के हिसाब से सरकारी पैसों पर दी गई हो उसे हलके तौर पर बनाकर बाकी का रकम डकार और अवैध वसूली कर सरकारी पैसों की मटेरियल्स से लोगों के चौतरें बने तो सड़क का मानक गिरा कि नहीं उसके बाद जो कमीशन खोरी हुई हल्के मटेरियल परचेज किए गए उसके लिए ऊपर सेेेेेेे नीचे तक के अधिकारियों को जेब गर्म किया गया ऐसेे में जो सड़क बनकर तैयार होगा उसकी क्वालिटी और क्वांटिटी का अंदाजा आप खुद भी लगाा सकते. अब देखना यह होगा कि खबर के प्रकाशन के बाद संबंधित अधिकारी कितने गंभीरता के साथ इस पर जांच कर कार्रवाई करतेे हैं |और नहींं तो अन्य भ्रष्टाचार की भेट सड़क भी चढ़ जाएगी |