मरीज सड़क पर तड़पने को मजबूर , अस्पतालों में नहीं हैं जगह

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
कोरोना महामारी का प्रकोप बढऩे से राजधानी के कोविड व नॉन कोविड अस्पतालों में व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। बेड व वेंटिलेटर न होने से एक तरफ जहां कोरोना मरीज कोविड अस्पतालों में भर्ती व शिफ्ट नहीं हो पा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर नॉन कोविड अस्पतालों में भी बेड फुल होने से मरीज सड़क पर पड़े तड़प रहे हैं। बुधवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) का ट्रामा सेंटर भी मरीजों से फुल हो गया। मरीज भर्ती होने के इंतजार में सुबह से शाम तक गेट के बाहर स्ट्रेचर पर पड़े रहे

कोविड रिपोर्ट मिलने में देरी से मरीजों का रुका इलाज : कोरोना की जांच रिपोर्ट समय से नहीं मिलने के चलते मरीजों का इलाज बीच में ही रुक गया है। लखनऊ के राजाजीपुरम निवासी अमित कुमार की चार वर्षीय बेटी ट्रामा में भर्ती है। पिता ने बताया कि 24 घंटे बाद भी कोरोना रिपोर्ट नहीं आने के चलते जांच आगे नहीं बढ़ पा रही। डाक्टर बच्ची को कुछ खाने-पीने भी नहीं दे रहे। वहीं, लखीमपुर खीरी निवासी राजकुमार ने बताया कि उनकी पत्नी फूल कुमारी कीब’चेदानी में कैंसर की सिकाई होनी है, लेकिन 28 घंटे से कोविड रिपोर्ट नहीं मिली है।

मरीजों को नहीं मिल पा रही एंबुलेंस : मरीजों को 24 से 36 घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। अपोलो में भर्ती कमलाक्ष तिवारी की तीमारदार नेहा मिश्रा ने बताया कि उनके पिता की रिपोर्ट एक बार निजी लैब से निगेटिव आई थी। समस्या बढऩे पर उन्हें अपोलो में भर्ती कराया। यहां मंगलवार को सुबह पांच बजे रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। ऐसे में उन्हें वहां भर्ती नहीं कर रहे हैं। दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कराने के लिए कंट्रोल रूम व सीएमओ ऑफिस से 24 घंटे बीत जाने पर भी एंबुलेंस नहीं मिल सकी है। वहीं, लोकबंधु अस्पताल में भर्ती पांच मरीजों की हालत गंभीर है। उन्हें संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ), केजीएमयू व लोहिया में भर्ती कराने का निवेदन किया गया है, मगर बेड नहीं होने के चलते वह भर्ती नहीं हो पा रहे हैं। लोकबंधु के एमएस अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि रेफर के लिए कमांड कंट्रोल रूम में अर्जी डाली गई है, मगर अनुमति नहीं मिल सकी है।