“माँ की दवा स्कूल की फीस के लिए उठा रहा छात्र; कोरोना के शव”

 

 

 

शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

दिल्ली : कहते हैं की मज़बूरी का नाम महात्मा गाँधी पर यहाँ तो मज़बूरी का नाम कोरोना हैं ! ये मज़बूरी जो न करए कम हैं ! दुनिया में किसी भी आमनागरिक के साथ कुछ घटना हो जाए तो बाकि सभी के लिए वो घटना बहुत मामूली सी लगती हैं !पर जब अपने ऊपर बितती हैं तब पता चलता हैं ! ऐसे ही एक मामला दिल्ली के सीलमपुर निवासी चंद मोहम्मद का हैं जो की १२ वि कक्षा में पड़ता हैं ! पर इस कोरोना ने उसकी ज़िन्दगी का रुख ही मोड़ दिया ! लॉकडाउन के पहले तो उसकी ज़िन्दगी ठीक से चल रही थी ! पर जब से इस कोरोना के लॉक डाउन ने दस्तक दिया हैं तब से ज़िन्दगी जीना दुर्भर हो गया हैं ! चाँद मोहम्मद डॉक्टर बनना चाहता था ! पर लॉकडाउन में बड़े भाई की नौकरी चली जाने के कारण मानो जैसे दु:खो का पाहड़ टूट पड़ा ! बड़े की नौकरी छूट जाने के बाद हालत ऐसे हो गए थे की खाने घर पर खाना भी एक टाइम ही बनता था ! स्थिति ऐसे आ गई ! की आस पड़ोस के घर से मिले राशन से खाना बनता था ! व् छोटे मोठे धंदे से खर्च चलता था ! माँ की दवा भाई बहन की स्कूल की फीस के लिए दिल्ली के एलएनजेपी हॉस्पिटल में कोरोना से मारने वाले लोगो के शवों को उठा रहा हैं ! चाँद मोहम्मद की माँ को थायराइड की बीमारी हैं ! पर परिवार में इलाज के लिए पैसे नहीं हैं ! पर इन हालातो में उसने एक हफ्ता पहले एक कम्पनी में नौकरी पकड़ी और एलएनजेपी हॉस्पिटल में सफाई के काम पर लगा दिया गया हैं ! उसने यहाँ भी बताया की जब कोई काम नहीं मिला तब उसने यह काम करना शुरू किया ! काम काफी खतरे वाला हैं ! पर घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उसने यह कदम उठाया ! जानकारी से पता चला की चाँद मोहम्मद ने बताया की परिवार में तीन बहने दो भाई माता पिता हैं ! और इस कोरोना में काल में खाना और माँ की दवाये चाहिए ! लॉकडाउन के चलते घर में एक समय ही भोजन खाना बनता था ! पर शायद कोरोना से तो बच गए लेकिन भूक से नहीं बच पाएगे ! चाँद मोहम्मद ने थोड़े से खर्च के लिए दुसरो से कह भी पर किसी ने मददत नहीं करी ! चाँद मोहम्मद ने बताया की उसकी बहने स्कूल जाती हैं वो भी स्कूल जाता हैं और स्कूल की फीस नहीं दे पाया हैं ! पर उसे अपने ऊपर पूरा भरोसा हैं की पहला वेतन मिलते ही हैं ! उसके घर की बिगड़ी आर्थिक स्थिति में कुछ सुधार आएगा ! उसका कहना हैं की वह घी से निकलने से पहले नमाज पड़ता हैं ! तब घर से निकलता हैं ! इस जोखिम वाले काम के लिए उसे १७ हजार रूपये मिलेंगे ! उसने ये भी बताया की रोज दूसरे सफाई कर्मियों के साथ कोरोना के शवों उठता हैं ! और उन शवों को एम्बुलेंस में रखवाकर शमशान ले जाता हैं ! यह सब काम उसे पीपीकिट पहन क्र करना पड़ता हैं ! जिससे बहुत ज्यादा दिक्क्त होती हैं ! साँस लेने भी भी प्रॉब्लम होती हैं ! उसने बताया की मंगलवार को उसने एक शव को अकेले ही उठाया जो एक माह का था जिसे कोई लेने नहीं आया ! अब चाँद के परिवार को उसकी सुरक्षा की चिंता हैं ! जब कोई उसकी माँ से उसके काम के बारे में पूछता हैं तो वो रो देती हैं ! तब वह उन्हें समझता हैं !