राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन : नक्की झील

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माउंट आबू में एक सुन्दर सी छोटी झील है- नक्की झील। नक्की झील के बारे में एक पौराणिक गाथा है कि एक देवता ने अपने नाखूनों से इस झील का निर्माण किया था, इसलिए इसे नक्की झील कहा जाता है। झील को चारों ओर से घेरते हुए एक अजनबी सी चट्टान है। जो ‘टॉड रॉक’ कहलाती है। टॉड से तात्पर्य एक ऐसा मेंढ़क जिसकी पीठ पर ग्रंथियां हों। इसी प्रकार झील की अन्य चट्टानों की भी नॉन रॉक, नंदी रॉक, कैमिल रॉक के नाम से कल्पनाएं की गई हैं। इस झील में नौकाओं द्वारा सैर करके आनंद प्राप्त किया जा सकता है। प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर जो चौदहवीं शताब्दी का है इस झील को पावनता प्रदान करता है। नक्की झील से एक कि.मी. पर हनीमून पाइंट नाम की एक चट्टान है, नवविवाहितों के लिए यह रोमांचकारी स्थल है। उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग में सूर्योदय व माउंट आबू में सूर्यास्त का दृश्य अपने में अनुपम दिखाई देता है।

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नक्की झील माउंट आबू

माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है। माउंट आबू में अनेक पर्यटन स्थल हैं। इनमें कुछ शहर से दूर हैं तो कुछ शहर के आसपास ही हैं।

• माउंट आबू के मध्य में स्थित यह झील माउंट आबू का सबसे पहला आकर्षण का केन्द्र और माउंट आबू का दिल है।
• नक्की झील माउंट आबू का एक बेहतरीन पर्यटक स्थल है।
• प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देनेवाली यह झील चारों ओऱ पर्वत शृंखलाओं से घिरी है।
• झील में एक टापू को 70 अश्वशक्ति से चलित विभिन्न रंगों में जल फ़व्वारा लगाकर आकर्षक बनाया गया है जिसकी धाराएँ 80 फुट की ऊँचाई तक जाती हैं।

• नक्की झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है।
• एक हिन्दू देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर यह झील बनाई थी। इसीलिए इसे नक्की (नख या नाखून)नाम से जाना जाता है।
• आरंभ में इसे नख की झील कहा जाता था। समय के साथ बदल कर इसका नाम नक्की झील पड़ गया।
• झील से चारों ओर के पहाड़ियों का नज़ारा बेहद सुंदर दिखता है।
• हरी-भरी पहाडि़यों से घिरी नक्की झील लगभग ढाई किमी. के दायरे में फैली है।
• इस के चारों तरफ एक साफ-सुथरी सड़क है। इसके किनारे एक छोटा-सा पार्क है।
• झील में नौका विहार की भी व्यवस्था है।
• झील के किनारे पर बैठ कर काफ़ी देर तक लोग झील में तैरते सफेद जलचर और तैरती नौकाओं को देखते है और नौका विहार का आनंद लेते है।

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          नक्की लेक

देवताओं ने नाखूनों से की खुदाई राजस्थान के माउंट आबू में स्थित नक्की लेक यहां आने वाले पर्यटकों की खास पसंद बन जाती है। अनेक मंदिरों और आध्यात्मिक स्थलों के बीच स्थित इस लेक का महत्त्व इस कारण भी है, क्योंकि मान्यताओं के अनुसार इसकी खुदाई देवताओं ने अपने नाखूनों से की है। राजस्थान के एकलौते हिल स्टेशन माउंट आबू जाएं और नक्की लेक न देख पाएं तो समझों कि आपने माउंट आबू को पूरा एन्जॉय किया ही नहीं। माउंट आबू की आध्यात्मिक और मनमोहक आबोहवा के बीच अनेक ऐतिहासिक मंदिर तो हैं ही, ऋषि-मुनियों और देवताओं की स्थली कही जाने वाली इस जगह पर देवताओं द्वारा तैयार यह लेक भी खूब लोकप्रिय है।

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यह लेक अरावली पर्वत श्रृंखला की पहाड़ियों के बीच बसी है, जिस कारण इसकी खूबसूरती सर चढ़ कर बोलती है। लगभग एक किलोमीटर लंबी और 500 मीटर चौड़ी यह लेक खूबसूरती की तमाम विशेषताओं के कारण आपकी नजरों में बसे बगैर नहीं रहती। बस, आप एक बार इस लेक के किनारे बने वॉकिंग ट्रैक पर घूम लें और खासकर शाम के समय किनारे पर बने रेस्तरां में खूब खाते-पीते हुए इस लेक को निहार लें। राजस्थान टूरिज्म द्वारा लेक के बीच में बनाया गया फाउंटेन भी इसके आकर्षण में वृद्धि करता है।

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यूं तो यहां सुबह और शाम दोनों समय पर्यटकों की भीड़ नजर आती है, लेकिन खासकर शाम के समय का नजारा ही कुछ अलग होता है। इस समय यहां की हवा में आपके मन को छूने की क्षमता तो होती ही है, लाइटिंग की वजह से माहौल और खुशनुमा बन जाता है। नीले आसमान और अरावली श्रृंखला की पहाड़ियों के बीच इस लेक के पानी का रंग भी नीलापन लिए होता है, जिसे बोट पर घूमते हुए छूना बड़ा रोमांचित करता है। रात में लाइटिंग से चमचमाते लेक के पानी और संगीत का अहसास कराते फाउंटेन के बीच आप एक बोट में बेहद ही शांति महसूस करेंगे।