वर्ष 2008 में यूनानी निदेशालय का सरकार द्वारा किया गया गठन 

पत्रकार सौरभ सैनी
रीडर टाइम्स न्यूज़

1.  गठन के उपरांत में 263+1 (एकल पद बाअद में सृजित हुआ ) कुल 264 फार्मासिस्ट के यूनानी विभाग को प्राप्त हुए। जिसमे 169 पद भरे थे। जिसमे एक भी पद अनुसूचित जाति से नहीं भरे थे। पद फार्मासिस्ट के विभाग को प्राप्त हुए जिसमें 159 पद भरे थे। जिसमें एक भी पद अनुसूचित जाति से नहीं भरे थे।

2.  विभिन्न रीट याचिकाओं में पारित आदेश के क्रम में 23 मई 2014 को यूनानी फार्मासिस्ट की भर्ती करने का शासनादेश निर्गत हुआ , जिसके अनुपालन में रिक्त 95 पदों यूनानी फार्मासिस्ट के विज्ञापित किए गए। जिसमें एक ही जाति के 89 पद निदेशक यूनानी द्वारा भर लिए गए। जिसमें अनुसूचित जाति के एक भी अभ्यर्थी को नियुक्त नहीं किया गया। भारतीय सविधान में प्राविधानित आरक्षण के नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया। परंतु आज तक शासन द्वारा निदेशक यूनानी सेवाओं (डॉ मोहम्मद सिकंदर हयात सिद्दीकी ) के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की गई | इस संबंध में 8 फरवरी 2021 को आयुष विभाग शासन द्वारा निर्देश यूनानी से सूचना मांगी गई थी। जिसके बाद केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने भी सक्रियता दिखाते हुए ईमेल पर उक्त निर्देश एवं शासन से दिनांक 12 फरवरी 2021 में सूचना मांग लिया था तथा एक संवैधानिक संस्थान होने के कारण SC आयोग अपनी कार्रवाई कर रहा है।

3.  विधायी कार्रवाई हेतु दिनांक 22 फरवरी 2021 को लाल जी वर्मा नेता प्रतिपक्ष ब0स0पा0 को प्रार्थना पत्र दिया। कि , सदन में प्रश्न उठाए हमारे मामले को सदन में उठाया गया जिसके बाद शासन प्रशासन हरकत में आया हैं।

4.  हम चाहते हैं कि , संवैधानिक नियमों कानूनों का अनुपालन हो एवं निषपक्ष जांच हो युक्त समिति द्वारा की गई भ्रष्टाचार की भी जांच हो एवं निदेशक को सख्त से सख्त सजा मिले जिससे कोई भी नियुक्त प्राधिकारी भविष्य में किसी का भी अहित न करने पर तथा संवैधानिक नियमों कानूनों के तहत कार्य करने हेतु बाद्धय रहे। क्योंकि आए दिन हर जगह सुनने को मिलता है कि नियुक्त प्राधिकारियों ने बहुतेरे जगह पर गड़बड़िया की हैं।