शिक्षा कि स्थिति को सुधारने के लिए बच्चो को पढ़ाए सरकारी स्कूल में : बोले शिक्षामंत्री

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
अच्छी शिक्षा ही बच्चो का मानसिक विकास करती हैं। बच्चो के लिए स्कूली शिक्षा का जीवम में भी महत्त्व होता हैं झारखंड विधानसभा में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बजट पर चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि राज्य में सारे मंत्री , विधायक और अफसरों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहिए , तब शिक्षा का स्तर सुधरेगा। मंत्री ने कहा कि  विपक्षी पार्टी के लोग इस संबंध मे प्रस्ताव दें, वह इसे पारित कराएंगे।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि झारखंड के गांव-गांव में अंग्रेजी शिक्षा पाने के लिए लोग लालायित हैं। 127 प्लस टू स्कूल खोले गए हैं। सरकार राज्य के प्रत्येक जिला, प्रखंड और पंचायतों तक में अंग्रजी मीडियम स्कूल खोलेगी। अंग्रेजी शिक्षा में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की बात मंत्री ने कही। मंत्री के जवाब के बाद सदन में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के 6 करोड़ 37 लाख 75 हजार का अनुदान मांग ध्वनिमत से पारित हुआ। विधायक अनंत ओझा के कटौती प्रस्ताव का जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि हमारी सरकार कागज-कलम पर नहीं, बल्कि धरातल पर काम उतारने पर विश्वास करती है। पिछले 26 महीने से हमारी सरकार धरातल पर काम उतार रही है। पिछली सरकार ने पांच वर्षों में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को गर्त में मिला दिया। पूर्व की सरकार में स्थिति यह थी कि साल में 8 महीने पारा शिक्षक आंदोलन पर रहते थे। हमारी सरकार बनी तो पारा शिक्षकों की समस्या का समाधान किया।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार के शासनकाल में काम कुछ नहीं हुआ। काम के नाम पर शिक्षकों पर लाठियां चलीं। महिलाओं को भी जेल में बंद किया गया। हमने शिक्षकों का स्वागत किया, समस्या का हल निकाला। पूर्व की सरकार में क्या काम हुए इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि उस समय की शिक्षा मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्र में पुस्तकालय नहीं बनवा सकी। अब उन्होंने कोडरमा में पुस्तकालय निर्माण के लिए प्रश्न डाला है। शिक्षा मंत्री ने आजसू विधायक लंबोदर महतो को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि विधायक बनने से पहले ये अधिकारी थे। खूब अंग्रेजी झाड़ते थे। जब भाषा को लेकर आंदोलन शुरू हुआ तो सदन में खोरठा बोलने लगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने देश मे शिक्षा का अलख जगाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया था , लेकिन दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि पूर्व की रघुवर सरकार ने वाजपेयी जी की महत्वाकांक्षी योजना को भी बंद कर दिया।

सदन में कटौती प्रस्ताव पेश करने के दौरान भाजपा विधायक ने कहा कि कोविड काल में निजी विद्यालयों से सरकार फीस माफ नहीं करा पायी। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो टाइगर के नाम से जाने जाते हैं। वह लगातार निजी विद्यालयों को चिट्ठी लिखते रहे, लेकिन टाइगर जगरनाथ महतो की बात किसी विद्यालय प्रबंधन ने नहीं मानी। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान निश्चय पत्र के जरिये झामुमो, राजद और कांग्रेस के द्वारा शिक्षा की स्तर में बेहतरी के लिए कई वादे किए गए थे , लेकिन निश्चय पत्र पर कोई काम नहीं हुआ। शिक्षा मंत्री कहते हैं कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई का स्तर नहीं सुधरा तो निजी हाथों में इसके संचालन की जिम्मेवारी सौंप देंगे, जो कि दर्शाता है कि शिक्षा का स्तर क्या है।

भाषा संरक्षण के लिए जनजातीय/क्षेत्रीय भाषा एकेडमी का गठन हो। प्रत्येक प्रमंडल में भाषा एकेडमी का गठन जरूरी है। बंधु तिर्की ने कहा कि सुदूर जंगलों में सरना आदिवासी बच्चे विद्यालय चला रहे हैं , कच्चे मकानों में, झोपड़ी में यह स्कूल चल रहे हैं। सरकार से मांग करता हूं कि इन विद्यालयों को भी चिह्नित कर मदरसा की तरह अनुदान राशि दिया जाये। बंधु तिर्की ने कहा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से दूर रखा जाए। गैर शैक्षणिक कार्य मे लगाने से पठन-पाठन पर प्रभाव पड़ता है। तिर्की ने कहा कि बीते तीन साल से शिक्षकों का स्थानांतरण और पदस्थापना नहीं हुआ है।