हरदोई नगरपालिका में भ्रष्टाचार के खिलाफ लामबन्द हुए सभासद

गोपाल द्विवेदी (ब्यूरो चीफ )हरदोई

रीडर टाइम्स

नगर पालिका में बोर्ड प्रस्ताव के बगैर नियम विरुद्ध कराये जा रहे कार्य

सभासदों ने सीएम से की शिकायत तो खुली भ्रष्टाचार की पोल

हरदोई। नगर पालिका परिषद हरदोई में वर्षो से कुछ ही रसूखदार ठेकेदारों की फर्मो राज रहा है और लगातार जो पूर्व में कार्य हुए है वह इन्ही रसूखदारों की फर्मो ने किए है। इन्हें निजी लाभ पहुंचाने के लिए पालिका के जिम्मेदारों ने नियमों की अनदेखी की। बिना बोर्ड के प्रस्ताव व बिना अनुमति के नगर पालिका द्वारा कराए गए कार्यों का काला चिट्ठा मुख्यमंत्री को भेजकर सभासदों ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। हालांकि ईओ ने सभासदों को ही दोषी ठहराते हुए उन पर अप्रत्यक्ष रूप से ठेकेदारी करने की बात कही है|दरअसल विगत 10 दिसंबर को शहर नगर पालिका के सभासदगण अजय शर्मा दीपू, ललित कुमार कश्यप, आदेश सिंह, मुनि मिश्रा, संजय सिंह, वंदना तिवारी, हरिहर सिंह, अनिता राठौर, नवीन कुमार राठौर, श्रीमती ऋचा सिंह आदि ने मनोज त्रिवेदी मन्नू सभासद के लेटरपैड पर सामूहिक रूप से मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत की थी। शिकायत में पालिका के जिम्मेदारों पर आरोप था कि निजी आर्थिक लाभ लाभ के लिए बोर्ड में प्रस्ताव न रखकर सीधे निविदाएं आमंत्रित करते हैं, और निजी ठेकेदारों को काम देते हैं। मुख्यमंत्री से इस नियमविरुद्ध व मनमानी प्रक्रिया पर रोंक लगाने व बोर्ड में रखे गए प्रस्तावों के अनुमोदन के आधार पर कार्यों को स्वीकृति देने की मांग की गई।शिकायत के क्रम में नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी ने अपनी आख्या जिलाधिकारी को प्रेषित की जिसमें उन्होंने निजी ठेकेदारों को काम देने की बात को नकारते हुए कहा कि मौजूदा सभासद/शिकायतकर्तागण स्वयं अप्रत्यक्ष रूप से ठेके लेकर कार्य कराना चाहते है। हालांकि उन्होंने बोर्ड की बैठक और बोर्ड में बिना प्रस्ताव के नियमविरुद्ध होने वाले कार्यों की शिकायत के जवाब में कुछ नही जवाब दिया। आपको बता दें कि जब से इस प्रकरण की शिकायत हुई, तब से नगर पालिका की अंदरूनी कलह को समाप्त करने के लिए राजनीतिक दवाब का प्रयोग किया गया। एक सभासद ने बताया कि पालिक में कई माह से बोर्ड की बैठक नही हुई और न ही किसी भी सभासद से प्रस्ताव लिया जाता है, जो भी कार्य हो रहे है या पूर्व में हुए है वह बगैर बोर्ड के अनुमोदन के कराए गए है। नगर पालिका में जिम्मेदारों द्वारा वित्तीय अधिकारो का दुरुपयोग किया जा रहा है|हालांकि अधिशाषी अधिकारी ने अपनी आख्या में लिखा है कि बजट वर्ष 2019-20 में निर्माण कार्यो की स्वीकृति प्रदान करने हेतु अधिशासी अधिकारी/अध्यक्ष को अधिकृत किया गया है तो उसके जवाब में सभासद ने बताया कि पालिका की नियमावली के अनुसार प्रशासनिक व वित्तीय अधिकार पूरे वित्तीय वर्ष की पावर डेलीगेट्स नही होती है अगर कभी होती भी है तो वह एक निश्चित धनराशि की होती है, लेकिन पावर डेलीगेट्स होने पर भी कार्ययोजना या प्रस्ताव बोर्ड के समक्ष रखना ही पड़ता है। नियम के अनुसार किसी भी कार्य को कराने के लिए बोर्ड से अनुमोदन अनिवार्य है व प्रतिमाह बोर्ड की बैठक होनी चाहिए। अगर किसी कारणवश बैठक हर महीने नही हो पाती है तो साल में 6 बैठक होना अनिवार्य है। नगर पालिका परिषद में इससे पूर्व इस तरहं की मनमानी और भ्रष्टाचार पहले कभी नही हुआ।