15 अगस्त को ही भारत में क्यों मनाया जाता हैं “स्वतंत्रता दिवस” ,

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
पहले जैसा अब कुछ नहीं रहा गया क्योकि पहले कोरोना का काला साया भी तो देश पर नहीं पड़ा था। लेकिन अब सभी कार्य हो रहे हैं पर बहुत ही सावधानीपूर्वक हो रहे हैं। कोरोना संकट और इसके प्रोटोकॉल के बीच देश आज अपना 75वां स्वतंत्रता (Independence Day) दिवस मना रहा है। हालांकि कोरोना संकट के कारण इस साल भी ऐसी रौनक नहीं देखने को मिल रही है, जैसा पहले देखने को मिलती थी। आज का दिन पूरा देश बहुत ही उत्साह से मना रहे हैं। क्योकि देश का आजाद होना हमारे लिए बहुत गर्व की बात हैं। 15 अगस्त का दिन पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ब्रिटिश शासन से भारत को 200 सालो के बाद आजादी मिली थी।

हमारा देश 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ। आजादी से लकेर अब तक हम हर साल 15 अगस्‍त के दिन को स्‍वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि आखिर आजादी के जश्न के लिए 15 अगस्‍त का ही दिन क्यों चुना गया। क्योकि स्वतंत्रता दिवस वो दिन है जो हमें हमारे स्वतंत्रता सैनानियों के त्याग को याद दिलाता है। भारत को मिली ये आजादी बहुत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसके लिए देश के वीरों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी और काफी संघर्ष किया। महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुखदेव, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, चंद्र शेखर आजाद के बलिदान के कारण ही आज हम आजाद भारत में सांस ले पा रहे हैं।

और देखा जाये तो इस आजादी के लिए हमारे देश के सेनानियों ने भी बहुत जख्म खाए हैं उनके जीवन के बलिदान के लिए देश का हर एक नागरिक उनके इस बलिदान का रिड़ी रहेगा। आपको बता दें कि , भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने यह फैसला लिया था। अब जानते हैं उस वक्‍त के घटनाक्रम और माउंटबेटन के इस फैसले की वजह के बारे में। इतिहासकारों के मुताबिक , जब अंग्रेजी शासन ने भारत की सत्‍ता को हस्‍तांतरित करने का फैसला लिया तो यह तय किया गया कि लॉर्ड माउंटबेटन भारत के आखिर वायसराय होंगे। ब्रिटिश संसद ने उन्‍हें 30 जून 1948 तक भारत की सत्‍ता भारतीय लोगों को हस्‍तांतरित करने का वक्‍त दिया था। एक तरफ गांधीजी का भारत छोड़ो आंदोलन था और दूसरी तरफ बंटवार को लेकर नेहरू और जिन्‍ना के बीच में विवाद। इन दोनों वज‍हों से माउंटबेटन के ऊपर जल्‍द से जल्‍द सत्‍ता हस्‍तांतरित करने का दबाव बढ़ता चला जा रहा था।

जिसकी वजह से उन्होंने एक साल और इंतजार करने की बजाए 1947 में ही भारत को आजादी देने का फैसला किया। यह तय हो जाने के बाद कि भारत को आजादी 1947 में ही दे दी जाएगी, अब माउंटबेटन को आजादी का दिन सुनिश्चित करना था। उन्‍होंने इसके लिए 15 अगस्‍त की तारीख चुनी। माउंटबेटन के तत्‍कालीन प्रेस सचिव कैंपबेल जॉनसन के अनुसार, लॉर्ड 15 की तारीख को अपने करियर के लिए काफी लकी मानते थे। इसलिए उन्‍होंने भारत को आजादी देने के लिए 15 अगस्‍त का दिन चुना। लार्ड माउंटबेटन 15 अगस्‍त के दिन को इसलिए भी खास मानते थे कि इसी दिन सन 1945 में द्वितीय विश्‍वयुद्ध के दौरान जापान ने ब्रिटिश सेना के आगे हथियार डाल दिए थे। वहीं आपको बताते चलें कि स्‍वतंत्रता के वक्‍त देश को दो हिस्‍सों भारत और पाकिस्‍तान में बांट दिया गया।