18 वर्ष से कैद नेताजी की प्रतिमा देख रही आजादी की राह

 नेताजी’ की जयंती पर जिलाधिकारी व शहीदों के सम्मान का दंभ भरने वालों से गुहार

रिपोर्ट : गोपाल द्विवेदी ,रीडर टाइम्स

नेता जी सुभाष प्रतिमा

हरदोई : एक तरफ तो पूरे देश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जा रही है वहीं दूसरी और स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाकर अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पिछले 18  वर्षों से हरदोई के मालखाने में कैद है। आजादी की राह देख रही है। नेता जी सुभाष चंद्र बोस का त्याग और बलिदान किसी से छिपा नहीं है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आजाद हिंद फौज की स्थापना कर लड़ाई लड़ने वाले नेता जी  को उनकी जयंती  पर याद तो किया गया लेकिन सरकारी मालखाने में पिछले 18  वर्षों से कैद नेताजी की प्रतिमा को आजाद कराने की किसी को फिक्र नहीं है। सदर मालखाने में रखी प्रतिमा के बारे में  लोगों  का कहना है कि 23 जनवरी 2000 को शिव सेना ने सोल्जर बोर्ड चौराहे के आगे बस अड्डे के पास खाली पड़ी भूमि में सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित कराने की तैयारी की थी।

शिव सेना के राज्य उप प्रमुख अवनीश श्रीवास्तव के अनुसार रामवीर द्विवेदी जिला प्रमुख हुआ करते थे। उनका कहना है कि उन्होंने विधिवत अनुमति लेकर प्रतिमा की स्थापना कराई थी लेकिन हरदोई की राजनीति में खेल खेला गया। प्रशासन ने बिना अनुमति के प्रतिमा स्थापित करने और उससे अशांति फैलने के आरोप में प्रतिमा को कब्जे में लेकर कुछ शिव सैनिकों को भी गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तार शिव सैनिकों पर शांति भंग करने के आरोप में कार्रवाई हुई और फिर उन्होंने अपनी जमानत करवा ली लेकिन प्रतिमा को कोतवाली शहर में रख दिया गया। जिसके बाद धीरे-धीरे वह अब सदर मालखाने में पहुंच गई है।

आश्वासन के बाद भी नहीं हो सकी स्थापना

इस बीच  न जाने कितनी बार नेताजी की प्रतिमा को कैद से निकालने की मांग की गई। कई अधिकारियों ने आश्वासन भी दिया लेकिन  धीरे-धीरे आश्वासन देने वाले अधिकारी चले गए और प्रतिमा अभी तक नहीं लग पाई।  आज  फिर नेताजी की जयन्ती पर जिम्मेदारों से सवाल है कि आखिर किस अपराध में प्रतिमा को कैद करके रखा गया है और कब  नेताजी  की प्रतिमा कैद से आजाद होकर स्थापित होगी |