अपनी छत के लिए दर दर भटक रहे हाईकोर्ट के शासकीय अधिवक्ता

 

रिपोर्ट शरद द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज़
आज का प्रकरण सरकार की न्याय देने की व्यवस्था की पोल खोलती है जब सरकार के शासकीय अधिवक्ता को न्याय नही मिल पा रहा है तो आम आदमी के लिए सरकार से न्याय पाने की उम्मीद करना महज एक सुनहरा सपना देखने जैसा ही होगा। दरअसल प्रदेश सरकार के स्वयं के शासकीय अधिवक्ता प्रतीक प्रताप सिंह लखनऊ रोड पर बने अपने मकान को दबंगों से कब्जा मुक्त कराने के लिए अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगा रहे है लेकिन हरदोई का प्रशासन कानो में तेल डालें हुए सो रहा है शासकीय अधिवक्ता ने इस प्रकरण की कई बार जिला प्रशासन से शिकायत भी की परंतु आज तक हरदोई का जिला प्रशासन उनके मकान को कब्जे से मुक्त नहीं करा सका है।

आपको बता दें कि प्रतीक प्रताप सिंह लखनऊ हाई कोर्ट में शासकीय अधिवक्ता के पद पर तैनात हैं व उनका एक मकान जनपद हरदोई के मोहल्ला बहरा सौदागर में स्थित है जो नगर पालिका में उनके नाम से दर्ज है ।

इस संबंध में प्रतीक प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पिता भानु प्रताप सिंह ने एक प्लाट का बैनामा विगत 29 मार्च 1965 को विक्रेता लालजी गुप्ता द्वारा कराया गया था। जिसमें उनके पिता ने उनकी मां प्रकाशवती को 1/4 भाग दिया था मां की मृत्यु के बाद उनका हिस्सा भी स्वयं उनके नाम हस्तांतरित हो गया। इसके बाद उनके पिता ने उस प्लाट पर दो मंजिला मकान बनवाया।

प्रतीक प्रताप सिंह के अनुसार उनके पिता नौकरी के दौरान गंभीर रूप से बीमार हो गए तथा लखनऊ आवास में रहकर इलाज कराते रहे। किंतु विगत 2007 में जब उनकी मृत्यु हुई तभी इलाज के दौरान उनकी हरदोई स्थित कोठी पर उन्हीं के पारिवारिक अंबुज सिंह तथा उसके पुत्र ऐश्वर्य सिंह ने उनकी गैरमौजूदगी में फर्जीवाड़ा कर अनाधिकृत रूप से जबरिया कब्जा कर लिया। जबकि इन लोगों का उनके मकान पर कोई भी अधिकार नहीं है क्योंकि यह संपत्ति पैतृक न होकर उनके पिता ने स्वयं खरीदी थी।

प्रतीक प्रताप सिंह का कहना है कि भूमाफिया अंबुज सिंह व उसके पुत्र ऐश्वर्य सिंह उनके साथ आए दिन गाली गलौज व जानमाल की धमकी देते हैं। अब देखना यह है कि हरदोई का प्रशासन शासकीय अधिवक्ता को न्याय मिलता भी है या नही या यूं ही वह अधिकारियों के चौखट के न्याय पाने की उम्मीद लिए चक्कर काटते रहेंगे।