अब नहीं चलेगा – ‘छुट्टे नहीं हैं’ का बहाना, ऑनलाइन भीख लेता है भिखारी

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
कभी – कभी ऐसे मामले भी होते हैं की हस्ते हस्ते पेट दर्द या मुँह में दर्द होने लगता हैं। सुनने में भले ही अजीब लग रहा हैं। पर बहुत ही अलग व बहुत ही दिलचस्प हैं ये मामला जो भी सुनता हैं। सुनकर हसीं के फफ्वारे छोड़ने लगता हैं। भिखारी सुन कर सभी सामान्य हो जाते हैं  ,लेकिन क्या पाने कभी डिजिटल बिखरी देखा हैं। नहीं , तो आज हम आपको बिहार के रहने वाले एक अनोखे डिजिटल बिखरी के बारे में बताते हैं।
भीख देने से बचने के लिए अक्सर लोग ये कह देते हैं कि छुट्टे नहीं हैं, लेकिन बिहार के एक भिखारी के सामने ये बहाना काम नहीं आता. क्योंकि ये भिखारी डिजिटल पेमेंट भी स्वीकार करता है. सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन ये बात पूरी तरह सही है. बिहार के बेतिया रेलवे स्टेशन पर गले में ई-वॉलेट का QR CODE टांगे रखने वाले भिखारी का नाम राजू प्रसाद है. राजू बचपन से ही स्टेशन पर रह रहा है और लोगों से भीख मांग कर अपना भरण-पोषण करता है।

PM मोदी और लालू यादव का फैन-
राजू की पहचान डिजिटल भिखारी के रूप में होती है. उसके मुताबिक, लोग कहते थे छुट्‌टे नहीं हैं, इसलिए मैंने बैंक में खाता खुलवा लिया. अब राजू लोगों से छुट्टे पैसे नहीं लेता बल्कि फोन-पे पर QR CODE स्कैन कर भीख के पैसे भेजने को कहता है. 40 साल का राजू करीब तीन दशक से रेलवे स्टेशन सहित अन्य जगहों पर भीख मांगकर अपना जीवन बिता रहा है. वो खुद को PM मोदी और लालू यादव का फैन बताता है।

इस वजह से नहीं मिली नौकरी-
मंदबुद्धि होने के कारण राजू के पास कोई नौकरी नहीं थी, इसलिए उसने भीख मांगने को ही अपनी नौकरी बना लिया. QR CODE से भीख मांगने के अंदाज के कारण राजू की पूरे देश में चर्चा हो रही है. वह स्टेशन और बस स्टैंड से बाहर निकल रहे यात्रियों से मदद की अपील करता है. राजू का कहना है कि जब से वो डिजिटल भिखारी बना है उसकी कमाई बढ़ गई है।

‘कैश लेकर कौन चलता है’-
राजू ने कहा, ‘कई बार लोग यह कहकर मदद से इनकार कर देते हैं कि उनके पास छुट्टे पैसे नहीं हैं. कई यात्रियों ने कहा कि फोन-पे आदि ई-वॉलेट के जमाने में अब नगद लेकर कौन चलता है. इसलिए मैंने बैंक खाता खुलवाया, साथ ही ई-वॉलेट भी बना लिए. अब मैं गूगल-पे व फोन-पे आदि के QR CODE के जरिए भीख मांगता हूं’।