अयोध्या की धर्मसभा पर शंकरायचार्य ने साधा निशाना कहा, मंदिर चाहिए मूर्ति नहीं

परमधर्म संसद 1008

वाराणसी :- अयोध्या में धर्म सभा के साथ ही काशी के सीर गोबर्धन में शुरू हुई धर्म संसद 1008 के पहले दिन रविवार को पहले सत्र में देशभर में तोड़े जा रहे मंदिरों को बचाने के लिए मंदिर रक्षा विधेयक पारित किया गया। दूसरे सत्र में गंगा और गोरक्षा विधेयक पास हुआ। संसद की तर्ज पर आयोजित धर्म संसद में कार्यवाही के दौरान संसदीय प्रक्रिया अपनाते हुए तीनों विधेयकों को पारित कर दिया गया। राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर चर्चा सोमवार को पहले सत्र में की जाएगी।

 

 

धर्म संसद के पहले सत्र का शुभारंभ शारदा एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आदेश पर नियुक्त धर्माधीश स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आसन ग्रहण से हुई। इसके बाद पदाधिकारियों, संत-महात्माओं के बाद जनता द्वारा पूछे गए गो, गंगा, राम मंदिर और विकास के नाम पर तोड़े जा रहे मंदिरों का विषय रखा गया।

 

 

धर्म संसद के दूसरे दिन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा हुई | इसमें साधु-संतों ने सरकार के उस फैसले का विरोध किया जिसमें कहा गया है कि अयोध्या में 221 मीटर ऊंची प्रतिमा लगेगी | संसद में कहा गया कि भगवान श्रीराम हमारे आराध्य हैं | लगने वाली मूर्ति की पूजा अर्चना नहीं होगी | ऐसे में यह हमारी आस्था के खिलाफ है |

 

 

इस सत्र में विकास के नाम पर तोड़े जा रहे मंदिरों और सनातनी परंपरा की आस्था को चोट पहुंचाते हुए किए जा रहे विकास कार्यों का मुद्दा गरमाया। कहा, विकास उचित है, लेकिन आस्था और धर्म पर प्रहार अनुचित है।

 

 

धर्म संसद की कार्यवाही शुरू होते ही राम मंदिर के साथ धर्मांतरण, वैदिक शिक्षा और गंगा सरंक्षण के मुद्दे उठे। अयोध्‍या से आए रसिक पीठाधीश्‍वर महंत जनमेजय शरण ने कहा, ‘भगवान श्रीराम को भी देश के सामान्‍य लोगों की तरह दशकों से न्‍याय का इंतजार करना पड़े, इससे दुखद और क्‍या हो सकता है? सनातनियों को शंकाराचार्यो की अगुआई में भव्‍य राम मंदिर निर्माण के लिए अब आगे आना होगा।’ धर्माचार्य अजय गौतम ने कहा, ‘रामलला टेंट में हैं और उनके छद्म भक्‍त लाखों का सूट-बूट पहन कर घूम रहे हैं। बीजेपी अयोध्‍या में आदर्श राम का मंदिर बनानी चाहती है जबकि संत समाज और सनातनी हिंदू घट-घट व्‍यापी राम मंदिर बनवाने के प्रतिबद्ध हैं।’