अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर से शुरू होगी सुनवाई, जल्द आ सकता है फैसला

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नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक बार फिर से बाबरी मस्जिद-राम मंदिर जमीन विवाद की सुनवाई शुरू होगी। शीर्ष अदालत ने 17 मई को इस मामले की सुनवाई स्थगित करते हुए गर्मी की छुट्टियों के बाद इसपर सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या में राम मंदिर को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिम पक्ष पर आरोप लगाया है कि उसकी ओर से 1994 के जिस फैसले का अभी हवाला दिया जा रहा है उसकी वैधता को लेकर कभी सवाल नहीं किया गया|

उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि न ही निचली अदालत और न ही हाईकोर्ट में इस मामले को उठाया गया है| पिछले 8 साल से मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन इस मामले को कभी नहीं उठाया गया| राम मंदिर को लेकर कोर्ट में सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने मुस्लिम पक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मामला 8 साल से लंबित है, लेकिन इस मुद्दे को नहीं उठाया गया| अब जब इस मामले में सभी कागजी करवाई पूरी हो गई है तो इस मामले को उठाया जा रहा है| इसको अभी सुप्रीम कोर्ट में उठाया जा रहा है ताकि मुख्य मामले में सुनवाई में और देरी हो|

इससे पहले मार्च में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद से जुड़ी उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था जो ऑरिजिनल वादियों या प्रतिवादियों की तरफ से दायर नहीं की गई थीं। कोर्ट सिर्फ ऑरिजिनल पिटिशनर्स को ही सुनने का फैसला किया था। कोर्ट ने जिन याचिकाओं को खारिज किया था, उनमें बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी की वह याचिका भी शामिल है, जिसमें उन्होंने बाबरी मस्जिद-राम मंदिर संपत्ति विवाद में दखल की कोशिश की थी।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई चन्द्रचूड़ की पीठ ने विवाद के संबंध में स्वामी की याचिका को तुरंत सूचीबद्ध किए जाने और उस पर सुनवाई के अनुरोध पर विचार करने के बाद कहा कि आप बाद में इसका उल्लेख करें| इस पर स्वामी ने कहा कि ‘बाद में’ शब्द बहुत ही विस्तृत अर्थ वाला है और वह 15 दिन बाद फिर से इस याचिका को रखेंगे| सुप्रीम कोर्ट स्वामी की ऐसी ही अपील पहले भी अस्वीकृत कर चुका है|

साल 2010 में उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट के तीन जजों की पीठ ने दो एक के बहुमत से अयोध्या की विवादित जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत की विशेष पीठ चार दीवानी वादों पर उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर विचार कर रही है। दूसरी तरफ हिंदू संगठनों का कहना है कि इस मामले को सुलझाया जा चुका है और इसे फिर से नहीं खोला जा सकता।

सितंबर तक आ सकता है फैसला-
विश्व हिन्दू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने उम्मीद जताई है कि इस साल के आखिर तक सभी बाधाओं को दूर करते हुए कानून एवं संविधान सम्मत तरीके से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट आयोध्या मामले की सुनवाई रोजाना आधार पर करेगा। अगर ऐसा होता है तब इस पर सितंबर तक फैसला आ सकता है।