इस फिल्म का कनेक्शन हैं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से : फ्लॉप होने के लिए बनाई गई थी ; लेकिन हो गई सुपर हिट ,

 

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
किशोर कुमार का अंदाज अलग ही था. न सिर्फ पर्दे पर बल्कि निजी जिंदगी में भी. वह हर बात को हंसते हुए लेते थे. किसी गंभीर स्थिति को भी वह हास्यपूर्ण तरीके से लेकर उससे बाहर निकल जाया करते थे. ऐसा ही एक किस्सा है जब वह अपनी आय पर इनकम टैक्स का भुगतान नहीं करना चाहते थे. इससे बचने के लिए उन्होंने दो फिल्में बनाई. एक बंगाली में लुकोचुरी और दूसरी हिंदी में चलती का नाम गाड़ी उन्हें भरोसा था कि यह फिल्में फ्लॉप हो जाएगी और वह इनकम टैक्स की एक बड़ी राशि देने से बच जाएंगे. जिस दिन फिल्में रिलीज हुई, उस दिन वह बेसब्री से इंतजार करने लगे कि फिल्म का कैसा रेस्पॉन्स आता है. उन्हें भरोसा था कि दर्शकों को फिल्में बिल्कुल पसंद नहीं आएगी और फिल्में बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हो जाएगी. लेकिन हुआ उल्टा फिल्म को अच्छे रिव्यू मिले और दर्शकों ने इन्हें काफी पसंद किया. दोनों ही फिल्में सक्सेफुल रही.

कामयाबी से हुई टेंशन-
फिल्मों की सफलता से किशोर कुमार काफी टेंशन में आ गए कि अब करें तो क्या करें. उन्हें इनकम टैक्स ना चुकाने का सपना चूर चूर होता दिख रहा था. उन्हें किसी भी कीमत पर इनकम टैक्स नहीं चुकाना था. तभी उन्हें एक तरकीब सूझी. उन्होंने चलती का नाम गाड़ी के सारे राइट्स अपने सेक्रेटरी अनूप शर्मा के नाम कर दिए. उन्होंने इस बात से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया कि यह फिल्म उनके द्वारा प्रोड्यूस की गई है. लेकिन फिर भी वह इनकम टैक्स वालों की आंखों में धूल नहीं झोंक पाए. उन पर इनकम टैक्स का मुकदमा लगभग चालीस साल चला.

भाइयों की तिकड़ी-
चलती का नाम गाड़ी में पहली बार कुमार भाइयों की तिकड़ी एक साथ नजर आई थी. इस फिल्म में किशोर कुमार, अपने दोनों बड़े भाइयों अशोक कुमार और अनूप कुमार के साथ नजर आए थे. मधुबाला फिल्म की हीरोइन थी. इसी फिल्म के दौरान उनका किशोर कुमार से रोमांस शुरू हुआ था. चलती का नाम गाड़ी के स्क्रिप्ट राइटर गोविंद मुनीस थे लेकिन इस फिल्म का आइडिया किशोर कुमार का ही था. जब अशोक कुमार मुंबई में थे और किशोर कुमार अपने होमटाउन खंडवा से उनसे मिलने के लिए मुंबई जा रहे थे तो यह पूरी यात्रा काफी रोचक थी. खंडवा से लेकर मुंबई तक की इस जर्नी ने ही उन्हें इस फिल्म को बनाने का आइडिया दिया. बांग्ला फिल्मों के निर्देशक कमल मजूमदार पहले इस फिल्म को निर्देशित करने वाले थे लेकिन बाद में उनके मना करने पर सत्येन बोस ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया.