कानपूर :- बेटे के मिलने की उम्मीद खो चुकी थी बूढ़ी मां ; मिलने के बाद : सैकड़ों आँखो से छलक उठे आंसू ,


डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
कभी कभी ऐसी कहानियो से रूबरू होना पड़ता हैं कि कानो से शब्द दिल में उतरते हैं और आखो से आंसू झलकते हैं। ऐसी कहानिया जिससे आँखो से आँसू निकल आए। लेकिन जब वही कहानी स्वम् पर आती हैं तो दिल चिर जाती हैं। ऐसी ही कानपूर के फतेहपुर जिले से एक ऐसा मामला जहां भगववान राम के वनवास से पावस आने के बाद कि बीती हुई स्थियो को दर्शया गया हैं। जिसमे रविवार को फतेहपुर जिले के एक परिवार में ह्रदय को रुला कर रख देने वाला कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। यहां बेटा 35 साल का वनवास काटकर लौटा तो मां कौशल्या के रूप में नजर आईं। मां-बेटे के मिलन से सैकड़ों आंखें छलक उठीं। 

:- रविवार को 35 वर्ष बाद मां के जिगर का टुकड़ा बगानी अपने बड़े भाई और ग्राम प्रधान के साथ जब रात 10 बजे घर के बाहर पहुंचा तो राह ताक रही 72 वर्षीय बूढ़ी मां के उम्मीदों के तार ऐसे जुड़े कि वह बिना देरी किए बेटे से लिपट कर रोने लगीं। जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर स्थित सुकेती गांव में मां-बेटे के मिलन व अद्भुद प्रेम का अद्भुत नजारा जिसने भी देखा खुशी से उसकी आंखें नम हो गईं।

:- यह है पूरा मामला:- गाजीपुर थाना क्षेत्र के सुकेती गांव के स्वयंबर सिंह के दूसरे नंबर के बेटे बगानी को 12 साल की उम्र में गांव के कर्नल मान सिंह अपने भोपाल स्थित फार्म हाउस में नौकरी कराने के लिए ले गए थे। वहीं से एक साल के अंदर ही बगानी गुम हो गया था। बेटे के लापता होने के गम में 20 साल पहले ही पिता की मौत हो चुकी है। मां शिवदुलारी उस गम को कलेजे में दबाए उसकी राह देखती रहीं।  तीन दिन पहले गाजीपुर थाने से बगानी के भोपाल में मिलने की सूचना आई तो खुशियां छा गईं। इन्हें मूर्तरूप तब मिला, जब बड़े भाई जगतपाल के साथ आए बगानी हर चेहरे की ओर देखकर रिश्तों की पहचान करते नजर आए।

:- बूढ़ी मां कभी खुशी के आंसू पोंछने लगती तो कभी बेटे के सिर पर हाथ फेर कर दुलार करतीं। इसी बीच आए छोटे भाई बाबू ने पैर छूकर पूछा, भइया पहचाना मैं बाबू …। थोड़ी देर में मां बड़े भाई के बेटे को लेकर आईं। बोलीं, ये तुम्हारे चाचा हैं, भावुक मन से बगानी एकटक सबको निहार कर रिश्तों को पहचानते रहे। भाभी, बहू समेत अन्य सभी लोग उन्हें घेरे रहे। पड़ोसी बुजुर्ग भरोसे ने सन्नाटा तोड़ा। कहा कि अब सो जाओ। बगानी अब कहीं नहीं जाएगा, कल बातें कर लेना।

:- देखने को दौड़ पड़े लोग:-रात के 10 बजे थे, लेकिन सुकेती गांव की गलियां बगानी के आते ही रौनक सी हो गईं। जिसने भी सुना, वह शिव दुलारी के घर की ओर दौड़ पड़ा। महिलाओं के साथ बुजुर्ग व बच्चे भी थे। भीड़ बिना कुछ बोले दूर से मां-बेटे व परिवारवालों के मिलन का नजारा देखते रहे। बगानी एक पल अपने परिवार तो दूसरे ही पल भीड़ की ओर देखते। परिवार वालो के दिल और दिमाग में उठे सवालों के उबाल को सभी ने बगानी के ऊपर बौछार कर दी। पर वह केवल हां और न में ही जवाब देते रहे।