किस तरह शुरू हुआ फुलेरा होली का उल्लासभरा त्यौहार

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाला त्योहार फुलेरा दूज सिद्ध मुहूर्त है। फुलेरा दूज को फाल्गुन मास में सबसे शुभ और धार्मिक दिन माना जाता है। इस दिन बिना पंचांग शुद्धि के सभी शुभ मंगल कार्य किए जा सकते हैं। फुलेरा दूज के दिन विवाह – संस्कार , सगाई आदि सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत , गृह प्रवेश , वाहन खरीदना आदि सभी के लिए बहुत शुभ मुहूर्त माना जाता है।

इस त्योहार को लेकर प्रचलित कथा के अनुसार एक बार भगवान श्रीकृष्ण व्यस्तता के कारण राधारानी से मिलने नहीं आ सके। इस कारण राधा रानी और गोपियां काफी दुखी हो गईं। उनकी नाराजगी का असर प्रकृति पर दिखने लगा। फूल और वन सूखने लगे। यह देखकर भगवान श्रीकृष्ण बरसाना पहुंचे और राधारानी से मिले। इससे वह प्रसन्न हो गईं और हर तरफ हरियाली छा गई। भगवान श्रीकृष्ण ने फूल तोड़ा और राधारानी पर फेंक दिया। राधा रानी ने भी श्रीकृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया। इसके बाद गोपियों ने भी एक-दूसरे पर फूल फेंकने शुरू कर दिए और चारों ओर फूलों की होली शुरू हो गई। यह दिन फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी तभी से इस दिन फुलेरा दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।

फुलेरा दूज के दिन श्रीराधा-कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। उन्हें होली पर खेला जाने वाला गुलाल अर्पित किया जाता है। इस दिन घरों में फूलों से मनमोहक रंगोली बनाई जाती है। मथुरा और बृज क्षेत्र में इस दिन से होली की शुरुआत हो जाती है। होलिका दहन में गोबर से बनी गुलरियां बनाने का काम फुलेरा दूज से शुरू हो जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। इस दिन श्रीराधा-कृष्ण का फूलों से शृंगार किया जाता है। इस त्योहार पर कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं भजन, कीर्तन किया जाता है।