की कश्तियों पर पुल नहीं रुकते , की आस्था के समुद्र नहीं झुकते

की कश्तियों पर पुल नहीं रुकते 

की आस्था के समुंदर नहीं झुकते

रुकती तो सांसे भी नहीं है रूह में

बस छोड़कर कोई और किनारा ढूंढती हैं

यह ज़िंदगी है इस जिंदगी को जीने के लिए

 बेहिसाब शरारतें ढूंढती है,

 इत्तेफ़ाक़ की बात है कि देश अपना होकर भी अपना सा नहीं लगता !!

और उम्मीदों से ज्यादा मांग यह किया करते हैं 

मांग भरते भरते अभी तक इनका पेट नहीं भरा ,

जय हिंद के नारे ना सही 

लारा लप्पा करते हैं !!

अभी और कुछ बुरे दिन देखने बाकी से रह गए 

अभी कई नजारे छूटते से रह गए 

कश्मकश भी शर्मा कर कुछ उलझ सी गई है ,

पहले करिश्मा हुए करते थे अब करिश्मा बनाए जाते हैं 

उलझी सी सियासत की सोच, देश को किस ओर, और कहां  तक ले जाएगी  !!

अभी संत साधु सोच बैठे हैं उन्नति तो होती है ही कुछ गंभीर बातें भी होनी बाकी ,

अभी नहीं जागे वह जो सोए सोए से बैठे हैं अपने घर गृहस्ती के चक्कर में देश को खोए बैठे हैं 

की कश्ती भी एक के सहारे अब ना चल सकेगी, मिल जाओ यारों सभी वरना देश भी ना चल सकेगी 

भारत के नागरिक होने का जरा सा तो योग करो, अभी योगी का आना बाकी है थोड़ा सा नमो नमो करो !!

 की कश्तियों पर पुल नहीं रुकते 

 की आस्था के समुद्र नहीं झुकते !!

ANURAGINI अनुरागिनी