कुलदीप सिंह सेंगर केस, सच कुछ और भी हो सकता है ?

रिपोर्ट : वीरेन्द्र कुमार 
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उन्नाव : देश दुनिया मे उन्नाव में लोकप्रियता का झंडा बुलंद कर चुके विधायक कुलदीप सिंह सेंगर  पर बलात्कार के सामूहिक दुष्कर्म की सच्चाई उजागर करने की जिम्मेदारी देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी के सुपुर्द है वह कार्यवाही जितनी तेजी से कर रही है शायद अब तक इतनी तेजी से कार्यवाही कभी न सुनी थी न देखी थी . देश के सम्मानित सामाजिक जीवन से जुड़े मित्रो  उन्नाव के जिस विधायक पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगा उसका शुभचिन्तक एवं समर्थक होने के नाते उसके पीछे की सच्चाई आप सभी के साथ साझा कर रहा हूं . यद्धपि जांच परिणाम एवं न्यायिक प्रक्रिया आने तक मेरा यह दुस्साहस न्यायसंगत नही है लेकिन अनेकानेक जनपद ही नही देश एवं विदेशो में बैठे अपने जननायक विधायक के खिलाफ रची गई साजिस को जानने के लिये लगातार दबाव बना रहे है . तो मैंने आपके साथ कुछ रची गई साजिस का खुलासा करने का मन बनाया . जो साझा कर रहा हूं. अपनी दबंगई से पंचायती राज व्यवस्था काबिज चले आ रहे एक आपराधिक घराने जिसकी वर्चस्व समाप्त होने की कगार पर है . उन्नाव का हर सभ्य समाज का नागरिक भलीभांति समझ रहा है . उन्नाव में विकास खण्ड नवावगंज जहाँ एक गांव है गोरा कठेरूआ, जिसके निवासी अवधेशप्रताप सिंह जिनका आपराधिक इतिहास  किसी से छिपा नही है हत्या, लूट, भ्र्ष्टाचार के पर्याय बन चुके अवधेशप्रताप की दबंगई के चलते वहाँ के लोग उनके विरुद्ध खड़े होने का साहस नही कर पाते  थे.
जिसकी वजह से चाहे ब्लाक प्रमुख की कुर्सी हो या फिर जिला पंचायत सदस्य उन पर इनका ही वर्चस्व कायम रहता था . राजनैतिक संरक्षण मिलने से कोई उनके विरुद्ध साहस नही कर सकता था.  उनकी दबंगई से आहत जनता को न्याय देने का बीड़ा उठाया . तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक डाक्टर गंगाबक्स सिंह ने जिन्होंने अपने एक दलितसमर्थक रामनरेश विमल को ब्लाकप्रमुख के चुनाव में समर्थन देकर इनकी हेकड़ी को समाप्त कर चुनाव जितवा दिया तो आपराधिक पृष्ठभूमि के अवधेशप्रताप सिंह ने उसकी हत्या ब्लाक परिसर में ही करवा दी थी . दलित ब्लाक प्रमुख हत्या ने कुछ नौजवानो को उद्देलित किया और मन ही मन इनके साम्राज्य को नष्ट करने का संकल्प किया . लेकिन मजबूत राजनैतिक सरक्षण न होने से वह मन मसोसकर रह जाते थे उनकी राजनैतिक संरक्षण वाली इस कमी को पूरा कर दिया . पुरवा के तत्कालीन विधायक उदयराज यादव ने जिनके संरक्षण में योगेश यादव, टिंकू, धीरेंद्र विमल एवं अरुण सिंह जैसे युवाओ की टीम ने एक मजबूत विकल्प तैयार कर जिला पंचायत सदस्य हो या ब्लाक प्रमुख की कुर्सी सभी छीन लिया . दबंगई एवं आराजकता से भयभीत हुए बिना  क्षेत्र के लोगो को मजबूत विकल्प देना . इस बीच जिला पंचायत चुनाव अध्यक्ष का चुनाव हुआ तो कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी संगीता सेंगर बागी सपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ी  तो हत्या में मारे गए दलित ब्लाक प्रमुख रामनरेश विमल के पुत्र जिला पंचायत सदस्य धीरेंद्र विमल ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के समर्थन में आकर उनकी पत्नी के प्रस्तावक बनकर उनकी मदद की . विधायक सेंगर  के साथ धीरेंद्र विमल की नजदीकियों के चलते अवधेश का परिवार उनसे खुन्नस मानने लगा .
इस बीच ब्लाकप्रमुख का चुनाव हुआ विधायक ने खुलकर अरुण सिंह का समर्थन कर दिया .  जिससे अरुण सिंह ने अवधेश के तिलिस्म को तोड़ इस परिवार से प्रमुख की कुर्सी भी छीन ली जो इस परिवार को नागवार गुजरा  . वह अंदर ही अंदर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर से खुन्नस मानने लगा . इस बीच नवाबगंज विकास खण्ड में हुए घोटालो की फाइलें भी खुल गई. जिसमें आरोपो की पुष्टि के बाद अवधेशप्रताप के पुत्र को जेल जाना पड़ा जो इस समय भी जेल में है . पत्नी भ्र्ष्टाचार के आरोप में जेल जाने के रास्ते मे  है.  जिसके लिये भी विधायक को ही जिम्मेदार मान रहा है अवधेशप्रताप सिंह का परिवार . इस बीच माखी गांव में एक लड़की गायब हुई जिसकी प्राथमिकी दर्ज हुई लड़की बरामद हुई.
लड़की के न्यायिक प्रक्रिया के दौरान बयान दर्ज हुए. जिसमें उंसके बयानों के आधार पर अभियुक्त जेल गए. एक अभियुक्त बनाए गए बीटेक छात्र की माँ एवं बहन के खिलाफ भी आरोप लगाया गया . जिसे न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहाँ दर्ज बयानों के आधार पर जब आरोपो की पुष्टि नही हुई तो उनके नाम चार्ज सीट से हटाए गए.  जिस पर आरोप मढ़ा गया कि विधायक ने प्रभाव में हटवा दिया गया.  जिसकी भनक लगते ही आपराधिक पृष्ठभूमि के अवधेशप्रताप सिंह ने विधायक के परम्परागत गांव के राजनैतिक विरोधियों से ताना बाना बुनकर उन मीडिया कर्मियों से साठगांठ की जो अपनी गुटबंदी के चलते विरोधी गुट के बिधायक से नजदीकी के चलते खुन्नस रखते थे . उन्हें अंदर ही अंदर विधायक की बढ़ती लोकप्रियता से ईर्ष्या रखने वाले राजनीतिको का भी साथ मिल गया जिस पर नई इस्क्रिप्ट तैयार हुई इस इस्क्रिप्ट मे विधायक और उनके समर्थक ब्लाक प्रमुख अरुण सिंह जो अवधेशप्रताप के राजनैतिक विरोधी है ,  के खिलाफ तैयार हुई ब्यूहरचना और गायब बालिका के परिजनों जो स्वयं आपराधिक पृष्ठभूमि के थे सोशल मीडिया से लेकर शासन प्रशासन में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर ही सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाना शुरू कर दिया .
इस बीच एक अप्रत्याशित घटनाक्रम हुआ जिस बालिका ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था उंसके  पिता ने नशे की हालत में धुत होकर अपने पारिवारिक टिंकू सिंह के परिवार के साथ गली गलौजकर मारपीट  किया.  विधायक एवं उनके भाई को गालियां दी जिस पर टिंकू सिंह एवं उनके समर्थकों ने उसकी पिटाई की आरोप है विधायक के भाई अतुल सिंह ने बेरहमी से पीटा . पुलिस ने भी मदद की .
आरोप सही भी हो सकता लेकिन घटना के समय विधायक कुलदीप सिंह सेंगर मौजूद नही थे.  शिकायत जिलाधिकारी कप्तान तक पहुची प्राथमिकी दर्ज हुई थी लेकिन इस बीच सुनियोजित ढंग से बालिका को आत्महत्या के लिये उत्प्रेरित कर लखनऊ भेज दिया गया . आरोप लगाने वाली बालिका एवं उसके परिवार के लोगो ने वहाँ मुख्यमंत्री आवास पर आत्मदाह का प्रयास किया . मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में पहुँचा . उन्होंने बिना देरी एसआईटी जांच गठित की . जांच शुरू भी नही हुई थी इस बीच दुर्भाग्य से आरोपी बालिका के पिता की जिला कारागर से उन्नाव जिला अस्पताल में दुःखद मौत हो गई . पूरे मामले को प्रदेश सरकार ने गम्भीरता से लिया और तत्काल सीबीआई के हवाले जांच  ही नही हुई कार्यवाही भी शुरू हो चुकी है . विधायक गिरफ्तार भी हो चुके है . फिर भी देश की  मीडिया टीआरपी बढ़ाने के चक्कर मे ऐसा भूचाल लाए है जैसे विधायक जो उन्नाव के गरीबो, मजलुमो का नायक है  . बलात्कारी सिद्ध करने में जुटा है . उसे न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास नही है . उसे जांच एजेंसी  पर  यकीन नही है . उसे अपनी टीआरपी से मतलब है. लेकिन विरोधियों, खुन्नस रखने वाले मीडिया के सम्मानित जनों . सामाजिक जीवन मे रह के झूले की तरह उतार चढ़ाव आते रहते है . जो नीचे है वह ऊपर जाएगा, जो ऊपर  है वह नीचे आएगा . कुछ तो आत्मा को धिक्कारे. तुम विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दबंग, कह सकते हो बाहुबली कह सकते हो, माफिया कह सकते हो लेकिन उसे बलात्कारी मत कहो. वह बलात्कारी नही हो सकता वैसे ही जैसे सूर्य पूरब से पश्चिम में नही उग सकता है.  उन्नाव की आवाम न कभी माना है  न मानेगा की कुलदीप सेंगर बलात्कारी है.
(यह लेखक के निजी विचार है )