कॉलेजियम की बैठक में , जस्टिस केएम जोसेफ की पदोन्नति पर फैसला टला

justice_joseph_2709497_835x547-m

जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के मामले आज कॉलेजियम के मामले में सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम की बुधवार को मीटिंग हुई, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया जा सका।इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट ने पर्याप्त प्रतिनिधत्व के सिद्घांत को ध्यान में रखते हुए कलकत्ता, राजस्थान, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जजों को सुप्रीम कोर्ट प्रोन्नति करने पर भी विचार का मामला एजेंडे में शामिल था। पिछले महीने सरकार ने जस्टिस जोसेफ के नाम की कॉलेजियम की सिफारिशों को फिर से विचार करने बात कहते हुए वापस कर दिया था|

 

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ इस कॉलेजियम के सदस्य हैं। लेकिन जस्टिस लोकुर तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से 26-27 अप्रैल को काम पर नहीं आए थे। जस्टिस जोसेफ के नाम पर विचार के संबंध में बैठक करने जा रही है| इसके साथ ही बड़ा सवाल यह उठता है| कि यदि कोर्ट ने सरकार की आपत्तियों के बावजूद जस्टिस जोसेफ के नाम की फिर से सिफारिश की तो क्‍या होगा?

सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों को मानती रही हैं| ऐसा यदा-कदा ही हुआ है कि सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के सुझाव किसी नाम पर आपत्ति उठाई हो, इस मामले में कानून के जानकारों के मुताबिक यदि जस्टिस केएम जोसेफ के नाम को दोबारा कॉलेजियम सरकार के पास विचार के लिए भेजती है तो सरकार को इस फैसले को मानना ही होगा|

सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे सीनियर जजों की कमेटी होती है| जो जजों की नियुक्तियों और प्रमोशन के संबंध में फैसले लेती है| इस वक्‍त चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ कॉलेजियम के सदस्‍य हैं| इन सभी जजों की उपस्थिति में लिए गए निर्णयों को सरकार के पास भेजा जाता है| सरकार संबंधित फाइल को राष्‍ट्रपति के पास भेजती है| उसके बाद राष्‍ट्रपति कार्यालय जज की नियुक्ति के संबंध में अधिसूचना जारी कर देता है और इस तरह नियुक्ति हो जाती है|

इंदु मल्होत्रा ने 27 अप्रैल को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। कांग्रेस शासित उत्तराखंड में 2016 में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को निरस्त करने वाली पीठ के प्रमुख न्यायमूर्ति के एम जोसेफ को केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत के लायक नहीं माना। केन्द्र का कहना है कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मानकों के अनुरूप नहीं है और उच्चतर न्यायपालिका में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधत्व है। जोसेफ केरल से ही आते हैं। केन्द्र ने उनकी वरिष्ठता पर भी सवाल उठाया और कहा , ‘‘ वह अखिल भारतीय आधार पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त वरिष्ठता में 42 वें स्थान पर आते हैं। ’’ न्यायमूर्ति जोसेफ जुलाई 2014 से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं।