कोर्ट और बैंक के मुताबिक, पति भी नहीं इस्तेमाल कर सकता पत्नी का एटीएम

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आपके साथ भी ऐसा कई बार हुआ होगा जब अपना एटीएम और पासवर्ड अपने किसी करीबी को देकर उन्हें पैसा निकलने को बोल देते होंगे| लेकिन ऐसा करना कितना भारी पड़ सकता है, इसका अंदाजा बेंगलुरु की एक महिला वंदना को हो गया जिसने अपने पति को एटीएम कार्ड देकर पैसा निकालने भेजा था। एटीएम से ‘निकाली’ गई 25 हजार की रकम को पाने के लिए कोर्ट में साढ़े तीन सालों तक केस लड़ने के बाद महिला के हाथ निराशा ही लगी। कोर्ट ने आखिरकार एसबीआई के नियम ‘पिन शेयर हुआ, केस खत्म’ को मानते हुए बैंक के पक्ष में फैसला दिया। और कोर्ट के हांथो वंदना को निराशा मिली|

बाद में वंदना ने बंगलूरू के चतुर्थ अतिरिक्त जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम में 21 अक्टूबर 2014 को अपील की| वंदना का आरोप था की वो उसी समय माँ बानी थी इसलिए वो बहार नहीं जा सकती थी इसलिए उन्होंने अपने पति राजेश को एटीएम से 25000 रुपये निकलने के लिए भेजा था| परन्तु जब उस वक़्त पैसे नहीं निकले| पर इस चीज की पर्ची निकल गयी की उनके अकॉउंट से 25000 रुपये डेबिट हो गये है| तो उनके पति ने एसबीआई कॉल सेण्टर में कॉल करके पता किया तो वह से बताया गया की टेक्निकल इशू की वजह से पेमेंट डिडक्ट होगयी है | और परेशान न हो 24 घंटे में पैसा उनके अकाउंट में रिफंड हो जायेगा | परन्तु जब एक दिन बाद पैसा अकाउंट में वापस नहीं आया तो वह एसबीआई की ब्रांच में गए और शिकायत दर्ज कराई। लेकिन उन्हें उस वक्त शॉक लगा जब एसबीआई ने कुछ दिनों में केस को यह कहते हुए बंद कर दिया कि ट्रांज़ैक्शन सही था और कस्टमर को पैसा मिल गया। उसके बाद राजेश ने कड़ी मस्सकत के बाद सीसीटीवी फुटेज हाशिल की जिसमे यह साफ हो गया की राजेश मशीन तो इस्तेमाल कर रहे है परन्तु उन्होंने कोई पैसा नहीं मिला|

फुटेज के साथ शिकायत करने पर बैंक की जांच समिति ने यह कहते हुए पीड़ित की मांग को ठुकरा दिया कि खाताधारक वंदना फुटेज में नहीं दिख रही हैं और उनकी जगह कोई दूसरा (पति) पैसा निकालते नजर आ रहे हैं। बैंक ने स्पष्ट तौर पर कह दिया कि पिन साझा किया गया, इसलिए केस बंद। इसके बाद पीड़ितों ने 21 अक्टूबर 2014 को उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि उन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया था और वह घर से बाहर जाने की हालत में नहीं थी। इस वजह से पति को एटीएम से पैसे निकालने के लिए भेजा। एटीएम से पैसा तो नहीं निकला, लेकिन ट्रांजैक्शन होने का पर्चा निकल गया।

कोर्ट में यह केस साढ़े तीन सालों तक चला। पीड़ित ने कोर्ट में मांग की थी कि एसबीआइ को उनके 25 हजार रुपये वापस करने चाहिए, लेकिन बैंक ने अपने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि किसी दूसरे के साथ पिन नंबर साझा करना नियमों का उल्लंघन है। कोर्ट ने बैंक की बात को सही माना और 29 मई, 2018 को फैसला देते हुए कहा कि खुद नहीं जा सकने की हालत में वंदना को सेल्फ चेक या फिर अधिकार पत्र देकर पति को पैसा निकालने के लिए भेजना चाहिए। कोर्ट ने यह आदेश देते हुए केस को खत्म कर दिया।