गुरु ने शिष्य को बताया सफलता के सत्य व सही क्या है मायने …

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
जिंदगी में व्यक्ति सफल होने के लिए बहुत परिश्रम करता है। सफलता के साथ व्यक्तित्व में बदलाव आता है। कभी-कभी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद व्यक्ति को लगता है कि हमारे आस-पास के लोग हमें और ऊपर जाने से रोक रहे हैं। इसमें घर, परिवार, अनुशासन, माता-पिता, गुरु और समाज शामिल हैं। लेकिन हमें बस ऐसा लगता है। घर, परिवार और गुरु आदि हमारे आगे बढ़ने की ताकत हैं। आज हम आपके सामने गुरु और शिष्य की एक कहानी का वर्णन करते हैं।

गुरुकुल में एक गुरु अपने अनेको शिष्यों के जीवन को निखारने का काम करते थे। एक दिन एक शिष्य ने अपने गुरु से पूछा कि गुरुदेव ये सफल जीवन क्या होता है? शिष्य की बात सुनकर गुरुदेव उसे पतंग उड़ाने के लिए अपने साथ लेकर गए। शिष्य शानदार तरीके से पतंग उड़ा रहा था। गुरु अपने शिष्य को पतंग उड़ाते हुए देख रहे थे कि तभी पतंग उड़ाते-उड़ाते शिष्य को लगा कि धागा कम पड़ रहा है। उसने गुरु से कहा कि धागे की कमी के कारण यह पतंग ज्यादा ऊपर नहीं जा पा रही है।

गुरुदेव ने कहा कि अब क्या करें? शिष्य ने झटपट जवाब दिया कि पतंग के इस धागे को काट देते हैं। इससे पतंग पूरी आजादी से ऊपर उड़ सकेगी। शिष्य ने गुरु से पूछा कि क्या हम इसे तोड़ दें? गुरु ने जवाब दिया तुम्हें लगता है तो धागे को तोड़ दो। शिष्य ने धागे को तोड़ दिया।
धागा टूटने के बाद पतंग थोड़ा सा ऊपर गया। परंतु कुछ समय के बाद पतंग हवा में असंतुलित होकर लहराने लगी। देखते ही देखते वह एक अनजान जगह पर गिर गयी। इस घटना के बाद के बाद शिष्य निराश होकर गुरुदेव की तरफ देखने लगा। तब गुरु ने अपने शिष्य को जीवन का दर्शन समझाया।

कहानी की शिक्षा :- गुरु ने शिष्य से कहा कि ऊंचाई पर पहुंचने पर अपने आस-पास के लोगों से रिश्ता नहीं तोड़ना चाहिए। यही सब हमें अपने जड़ों से बांधकर रखते हैं।