जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू, राष्ट्रपति कोविंद ने दी मंजूरी

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जम्मू-कश्मीर में मंगलवार को आए सियासी संकट के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तत्काल प्रभाव से जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने को मंजूरी दे दी है, वहीं जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने सीमा सुरक्षा की समीक्षा को लेकर एक बैठक बुलाई है, बता दें कि मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी से गठबंधन तोड़ सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद वहां सियासी संकट के हालात पैदा हो गये थे, हालांकि, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी ने लगे हाथ राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर दी, इसके बाद ये कायास तेज हो गये थे कि जल्द ही राज्य में राज्यपाल का शासन लागू हो जाएगा, बता दें कि जम्मू- कश्मीर में छह साल का कार्यकाल होता है और वहां पर राष्ट्रपति के बदले राज्यपाल शासन लागू होता है |

 

एनएन वोहरा प्रदेश के राज्यपाल के रुप में करीब 10 साल से काम कर रहे हैं और माना जाता है कि उनकी सभी पक्षों में स्वीकार्यता भी है, अब केंद्र सरकार ने भी उनका कार्यकाल बढ़ा दिया है |

 

इसके बाद सदन में बहुमत खो चुकी महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहरा को सौंप दिया। उधर, मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस लिए जाने के बाद केंद्र की भाजपा सरकार अब गठबंधन के नैतिक दबाव से मुक्‍त हो गई है। इस राजनीतिक घटनाक्रम से आतंकवादियों के खेमे में खलबली है। आतंकी संगठनों को यह भय सता रहा है कि केंद्र आतंक के खिलाफ कार्रवाई तेज कर सकता है। इस प्रकार के संकेत केंद्र सरकार पहले कर चुकी है |

 

 

बता दें कि राज्य में 1977 के बाद आठवीं बार और पिछले 10 सालों में चौथी बार राज्यपाल शासन का हरी झंडी मिल गई है। राज्यपाल ने राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजते हुए राज्य संविधान के अनुच्छेद 92 के तहत राज्यपाल शासन लागू करने की सिफारिश की है |

कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी की सरकार गिरनने के बाद किसी भी पार्टी ने सरकार बनाने का दावा नहीं पेश किया था, नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन की मांग की थी, वहीं पीडीपी भी रेस में नहीं थी, कांग्रेस ने पहले ही कह दिया कि पीडीपी के साथ जाने का कोई सवाल ही नहीं है, ज़ाहिर है सिर्फ़ एक मात्र विकल्प राष्ट्रपति शासन बचता था, इस बीच जम्मू कश्मीर के गवर्नर ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी थी, उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की थी |

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आतंकवाद व हिंसा से सख्ती से निपटा जाएगा। ऑपरेशन ऑल आउट की फिर शुरू हो चुका है।

सीमापार से फायरिंग का करारा जवाब दिया जाएगा।

राज्यपाल शासन में जम्मू-कश्मीर में केंद्र की विकासवादी नीतियों पर तेजी से अमल।

अमरनाथ यात्रा को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के बाद सौहार्द व विश्वास बढ़ाने के उपाय होंगे।

हालात सुधरने पर वार्ता प्रक्रिया शुरू कर स्थाई समाधान निकालने का प्रयास

1 मार्च 2015 को बनी थी गठबंधन सरकार दिसंबर, 2014 में हुए जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद एक मार्च, 2015 को गठबंधन सरकार बनी थी। तब मुफ्ती मुहम्मद सईद ने 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 7 जनवरी, 2016 को उनका निधन हो गया। इसके बाद 4 अप्रैल को महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थीं।

 

राम माधव ने किया एलान पीडीपी से नाता तोड़ने का एलान भाजपा महासचिव व जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने किया। इससे पहले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को राज्य के सभी भाजपाई मंत्रियों की दिल्ली में आपात बैठक कर सियासी हालात की समीक्षा की थी। फिर पीएम नरेंद्र मोदी की सहमति से घोषषणा की गई।

 

बाहुबल की नीति संभव नहीं : महबूबा महबूबा ने कहा, ‘हमने ब़़डे विजन के साथ ब़़डी पार्टी भाजपा से गठबंधन किया था। तीन साल तक अनुच्छेद 370 और 35 ए को बचाए रखा। राज्य के 11 हजार नौजवानों के खिलाफ केस वापस लिया। कश्मीर में बाहुबल की नीति संभव नहीं है। हमारी कोशिशों के कारण संघषर्ष विराम हुआ था। हम पाक व राज्य के लोगों से चर्चा के पक्ष में हैं।

 

पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य के लिए 80 हजार करोड़ रुपए का विकास पैकेज दिया। महबूबा सरकार ने इसमें से मात्र 22 फीसदी इस्तेमाल किया। इससे केंद्र सरकार व भाजपा हाईकमान भी नाराज था। भाजपा चाहती थी कि राज्य में विकास सरकार की पहचान बने। विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए घाटी में छह हजार फ्लैट बनाने के लिए 115 करोड़ रुपए इस्तेमाल नहीं किए हैं।

‘हम किसी दल के साथ गठबंधन सरकार बनाने के पक्ष में नहीं हैं। राज्यपाल शासन लागू कर राज्य में हालात सुधारे जाएं और जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं। -उमर अब्दुल्ला, नेकां

अवसरवादी भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार ने जम्मू–कश्मीर को आग में झोंक दिया। राज्यपाल शासन के दौरान भी नुकसान जारी रहेगा। -राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष