जानिए मां का दूध : बच्चे के लिए क्यों वरदान माना जाता है,

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
बच्चे और मां का रिश्ता बाकी सभी रिश्तों से ऊपर होता हैं. बच्चे के पैदा होने के बाद कुछ समय तक उन्हें सिर्फ मां का दूध ही पिलाया जाता है. डॉक्टर इस बात की सलाह देते हैं कि पहले कुछ महीने तक इसके अलावा उन्हें कुछ और न पिलाया जाए. बच्चे के लिए मां का दूध किसी वरदान से कम नहीं. आज हम आपको बताने वाले है कि मां का दूध बच्चों के लिए क्यों जरूरी हैं और अगर स्तनपान न कराया जाए तो इससे बच्चे की ग्रोथ पर कितना असर पड़ता हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.

ब्रेस्टफीडिंग कराने के फायदे:
ब्रेस्टफीडिंग कराने से बच्चे की हेल्थ अच्छी रहती है. मां के दूध में वो सभी जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो बच्चे की ग्रोथ के लिए जरूरी हैं. इसके अलावा स्तनपान करने से बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. गर्भ के अंदर का वातावरण बच्चे के लिए बहुत सेफ रहता है. पर जन्म लेने के बाद बच्चा बाहर के वातावरण में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया से लड़ सके इसके लिए मां का दूध उसकी इम्यूनिटी बढ़ाता है.

देता है सुरक्षा का अहसास:
बच्चा गर्भ से बाहर आने के बाद सबसे ज्यादा अपनी मां के साथ सुरक्षित महसूस करता है. ऐसा होने में स्तनपान का एक जरूरी रोल है. ये इसीलिए होता है क्योंकि मां की गोद में स्तनपान करते वक्त बच्चा सबसे ज्याद सुरक्षित महसूस करता है. ब्रेस्टफीडिंग के कारण मां और बच्चे का एक इमोशनल बॉन्ड जुड़ जाता है. इसी वजह से मां का लगाव बच्चे से सबसे ज्यादा होता है.

कितनी समय तक कराएं ब्रेस्टफीडिंग:
बच्चों को कम से कम छह महीने तक स्तनपान कराना चाहिए. डॉक्टर भी बच्चे को कम से कम छह महीने तक सिर्फ मां का दूध पिलाने की सलाह देते हैं.