जानें-क्यों हाथ में बांधा जाता है कलावा और क्या है इसका महत्व

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। स्वंय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम मित्र और शिष्य अर्जुन से गीता ज्ञान में कहा-“भगवान को प्राप्त करने का सरल मार्ग भक्ति है”। आसान शब्दों में कहें महज भक्ति मार्ग पर गतिशील रहकर ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए सनातन धर्म में पूजा करने का विधान है। इस उपलक्ष्य पर कुल देवी, इष्ट देव समेत सभी देवी-देवताओं का आह्वान कर उनकी पूजा की जाती है। पूजा के दौरान साधकों के माथे पर चंदन लगाया जाता है और हाथ में कलावा यानी रक्षा सूत्र बांधा जाता है। हाथ में कलावा बांधने की शुरुआत दैविक काल से हुई है।

कथा…
किदवंती है कि कालांतर में असुर वृत्रासुर के आतंक से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। उस समय ऋषि-मुनियों और स्वर्ग के देवताओं ने स्वर्ग सम्राट इंद्र से याचना की। तत्पश्चात, राजा इंद्र असुर वृत्रासुर से युद्ध करने की तैयारी करने लगे। जब स्वर्ग के राजा इंद्र युद्ध पर जा रहे थे, तब इंद्र देवता की अर्धांगिनी शची ने इंद्र देवता की दाहिनी भुजा पर कलावा बांध त्रिदेव और आदिशक्ति से रक्षा की कामना की। इस युद्ध में इंद्र देवता को विजयश्री प्राप्त हुआ था। कालांतर से रक्षा सूत्र बांधने की प्रथा है। एक अन्य किंदवंती है कि भगवान श्रीहरि ने अमरता का वरदान देने के लिए राजा बलि की कलाई पर कलावा बांधा था।

महत्व…
धार्मिक मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश समेत तीनों देवियों की कृपा बरसती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति , विष्णु जी की कृपा से रक्षा बल और शिवजी की कृपा से सभी संकटों से निजात मिलता है। वहीं, माता लक्ष्मी की कृपा से धन , माता दुर्गा की कृपा से शक्ति एवं माता सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है। इसके लिए हाथ में कलावा बांधा जाता है।