तिजोरी में नहीं आएगा रेलवे का खजाना

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लखनऊ : एक ब्रिटिश कालीन परंपरा जो अब भारत में बंद होने वाली है वो परंपरा है छोटे रेलवे स्टेशनों की होने वाली आय को रोजाना ट्रेनों में तिजोरी में रखकर लखनऊ लाने की । तिजोरियों में कैस लाने की परंपरा तो अगले हफ्ते से ख़त्म कर दिया जायेगा । अगले सप्ताह से यह काम राष्ट्रीयकृत बैंक करेंगे।  इसके लिए रेलवे ने एक बैंक के साथ एमओयू की प्रक्रिया पूरी कर ली है। रेलवे अब तक अपने सभी छोटे स्टेशनों से प्रतिदिन वहा की होने वाली टिकट और पार्सल की आय को पैसेंजर ट्रेनों के जरिए लखनऊ पहुंचाता है।

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ट्रेन गार्ड भारी भरकम तिजोरियों में हर छोटे स्टेशन से प्राप्त की गई रकम को जमा करते है और लखनऊ के चारबाग स्टेशन पर स्थित कैश एंड पे ऑफिस में जमा किया जाता है। लेकिन तिजोरी सुविधा ख़त्म होने के बाद रेलवे जिस बैंक के साथ एमओयू करेगा, वहीं बैंक रोजाना हर छोटे स्टेशनों से रेलवे की होने वाली आय को एकत्र कर उसे अपने बैंक में जमा करेगी। ये तिजोरियां बहुत भारी होती है जिन्हे चढाने और पैसो के साथ उतारने में कर्मचारियों को काफी कठिनाई होती है लेकिन इस सुविधा के साथ कर्मचारियों को अब इन कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। तिजोरी की सुरक्षा भी एक बड़ी जिम्मेदारी है। रेलकर्मियों का वेतन अब बैंक खातों में पहुंचता है जिससे कैश एंड पे ऑफिस में वेतन का काम पहले ही बंद हो गया था।  तिजोरी की व्यवस्था समाप्त होने के बाद कैश ऑफिस को भी बंद कर दिया जाएगा।