तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म मामले में 19वें दिन आरोपी को मृत्युदंड की सजा

AAROPI VONOD

                                                   आरोपी विनोद को ले जाती पुलिस 

देश में बढ़ रही रेप की घटनाओं ने एक खौफ का माहौल तैयार कर दिया है। आये दिन इस तरह की खबरे सामने आती रहती है। रेप की ऐसी ही एक घटना घटी राजस्थान के झुंझुनूं में जहाँ मात्र तीन साल की बच्ची से दुष्कर्म की घटना सामने आई। पुलिस ने केस में तत्परता दिखाते हुए आरोपी को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार किया। दुष्कर्म के आरोपी को न्यायालय ने महज 19 दिन में फांसी की सजा सुना दी। दुष्कर्म का शिकार हुई तीन साल की मासूम के दिल में छेद है। उसका ऑपरेशन होना है। फैसले के समय मासूम की मां एवं उसके नाना इलाज के लिए उसे जयपुर लेकर गए हुए थे।

यह घटना 2 अगस्त को मलसीसर के पास डाबड़ीधीर सिंह गांव में हुई थी। 21 वर्षीय दोषी विनोद दोषी फेरी लगाकर बर्तन बेचने का काम करता है। 2 अगस्त को वह डाबड़ी धीर सिंह गांव में पहुंचा था। यहां अपने ननिहाल आई तीन साल की मासूम को उसने घर में अकेला देख उसके साथ दुष्कर्म किया और भाग गया। पुलिस ने तीन अगस्त को चिड़ावा में किराए के मकान से रह रहे विनोद को पकड़ लिया। पुलिस ने 11 दिन में ही आरोपी के खिलाफ चालान पेश कर दिया। आरोपी की ओर से किसी वकील ने पैरवी नहीं की तो सरकार ने विधिक सहायता के तहत उसे वकील मुहैया करवाया। चालान पेश होने के 19वें दिन शुक्रवार को विनोद को कोर्ट ने पोक्सो एक्ट में मृत्यु दंड की सजा सुना दी। पॉक्सो अदालत ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चार्जशीट दायर होने के महज 19वें दिन आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई। उन्होंने बताया कि पॉक्सो अदालत की न्यायाधीश नीरजा दाधीच ने इसे जघन्य अपराध मानते हुए आज आरोपी को मृत्युदंड की सजा सुनाई।

मासूम पीड़िता बच्ची दिल की मरीज भी है । मासूम की नानी बताती है कि दिल की मरीज होने के चलते उसका इलाज चल रहा है । चूरू जिले के हमीरवास थाना क्षेत्र की रहने वाली यह एक माह पहले ही अपनी माँ के साथ ननिहाल आई थी। बच्ची के वृद्ध नाना किसी काम से बहार गए हुए थे । माँ अपने चाचा से मिलने चिड़ावा गई हुई थी । नानी अपने देवर के घर छांछ लेने गई हुई थी । मासूम घर में अकेली थी ,पीड़िता की नानी ने आगे बताया कि जब वह देवर के घर से वापस आ रही थी तो घर से फेरीवाले को बाइक पर सवार होकर जाते देखा । जब वह घर पहुंची तो बच्ची को खून से लथपथ देखा । यह कह कर उन बूढी आँखों में आंसू आ गए कि ” मैं क्या करती ? मुझे तो फ़ोन करना भी नहीं आता पुलिस थाने में ” . कोर्ट के इस फैसले से पीड़ित पक्ष बहुत खुश है और जिस तरह पुलिस से लेकर कोर्ट तक इस मामले तो महत्व दिया गया और लेट लतीफी किये बगैर फैसला इतनी जल्दी आया है। इससे लोगो को एक सन्देश भी मिलेगा कि ऐसा करने पर उन्हें भी फांसी की सजा मिल सकती है।

बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम के विशेष न्यायालय की न्यायाधीश नीरजा दाधीच ने मामले को दुर्लभतम बताते हुए एक मार्मिक कविता का भी जिक्र किया।

 ” ये कविता न्यायाधीश ने पढ़ी ”

‘वो मासूम नाजुक बच्ची एक आंगन की कली थी’ 
‘वो मासूम नाजुक बच्ची एक आंगन की कली थी’ 
वो मां-बाप की आंख का तारा थी
अरमानों से पली थी

जिसकी मासूम अदाओं से मां-बाप का दिन बन जाता था
जिसकी एक मुस्कान के आगे पत्थर भी मोम बन जाता था 
वो छोटी सी बच्ची, ढंग से बोल नहीं पाती थी 
दिखा के जिसकी मासूमियत उदासी मुस्कान बन जाती थी
 
जिसने जीवन के केवल तीन बसंत ही देखे थे 
उस पे यह अन्याय हुआ यह कैसे विधि के लेखे थे 
एक तीन साल की बेटी पे यह कैसा अत्याचार हुआ 
एक बच्ची को दरिंदों से बचा नहीं सके, यह कैसा मुल्क लाचार हुआ
 
उस बच्ची पर जु्ल्म हुआ, वो कितनी रोई होगी 
मेरा कलेजा फट जाता है तो मां कैसे सोई होगी 
जिस मासूम को देख के मन में प्यार उमड़ के आता है 
देख उसी को मन में कुछ के हैवान उतर आता है
 
कपड़ों के कारण होते रेप जो कहे, उन्हें बतलाऊं मैं 
आखिर तीन साल की बच्ची को साड़ी कैसे पहनाऊं मैं
गर अब भी ना सुधरे तो एक दिन ऐसा आएगा 
इस देश को बेटी देने से भगवान भी घबराएगा