दिलीप कुमार के निधन पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने जताया दुख, कहा- ‘उन्हें दुनिया से विदा होते देखना दुखद ‘

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार दिलीप कुमार का लंबी बीमारी के बाद बुधवार सुबह मुंबई में निधन हो गया.उनका जन्म पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था और आज भी पेशावर में उनका पुश्तैनी घर स्थित है। दिलीप कुमार के निधन पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी ने शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘दिलीप कुमार (यूसुफ खान) को उनके सांसारिक निवास से विदा होते देख दुख है. एक उत्कृष्ट अभिनेता, एक विनम्र व्यक्ति और एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व. उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. उनकी आत्मा को शांति मिले.’

दिलीप कुमार को पाकिस्तान सरकार ने साल 1998 में दिलीप कुमार को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज’ से नवाजा था. इसे लेकर भारत में खासा सियासत गरमा गई थी। तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा रही शिवसेना ने इस सम्मान को लेकर काफी विरोध किया. शिवसेना ने पाकिस्तानी सम्मान से नवाजे जाने पर दिलीप कुमार की राष्ट्रभक्ति पर सवाल तक खड़ा कर दिया था. इसके बाद दिलीप कुमार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सलाह ली और फिर पाकिस्तानी पुरस्कार को अपने पास रखने का निर्णय लिया।

98 वर्ष की उम्र में हुआ निधन :- बता दें कि हिंदी फिल्म जगत में ‘ट्रेजेडी किंग’ के नाम से मशहूर हुए दिलीप कुमार का लंबी बीमारी के बाद बुधवार सुबह निधन हो गया. उनके परिवार के सदस्यों और उनका इलाज कर रहे चिकित्सकों ने यह जानकारी दी. कुमार 98 वर्ष के थे. दिलीप कुमार मंगलवार से हिंदुजा अस्पताल की गैर-कोविड गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती थे. कुमार का इलाज कर रहे डॉ. जलील पारकर ने कहा, लंबी बीमारी के कारण सुबह साढ़े सात बजे उनका निधन हो गया.

छह दशक का रहा फिल्मी करियर :- दिलीप कुमार के पारिवारिक मित्र फैजल फारूकी ने अभिनेता के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘भारी मन और बेहद दु:ख के साथ, मैं यह घोषणा कर रहा हूं कि कुछ मिनट पहले हमारे प्यारे दिलीप साहब का निधन हो गया. हम अल्लाह के बंदे हैं और हमें उनके पास ही लौटकर जाना होता है.’ अभिनेता को पिछले एक महीने में कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था. हिंदी फिल्मों के सबसे लोकप्रिय अभिनेताओं में गिने जाने वाले दिलीप कुमार ने 1944 में ‘ज्वार भाटा’ फिल्म से अपने करियर की शुरुआत की थी और अपने छह दशक लंबे करियर में ‘मुगल-ए-आजम’, ‘देवदास’, ‘नया दौर’ तथा ‘राम और श्याम’ जैसी अनेक हिट फिल्में दीं. वह आखिरी बार 1998 में आई फिल्म ‘किला’ में नजर आए थे।