मदरसा शिक्षकों का बुरा हाल दो साल से ज्यादा का अटका केन्द्रांश न मिलने से पडे रोटी के लाले

रिपोर्ट : नफीस अहमद ,रीडर टाइम्स

पैसों की तंगी से जूझ रहे शिक्षक पहुंचे भुखमरी की कगार पर

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बिलग्राम / हरदोई : देश मे नई सरकार बनने के बाद जिस तरह से मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों की अनदेखी की जा रही है उससे शिक्षकों पर आर्थिक संकट गहराने लगा है . उनके लिए रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अब दूसरों के सामने हांथ फैलाना पड रहा है . ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि दो साल से ज्यादा बीत चुके हैं . मदरसों में दीनी तालीम के साथ- साथ आधुनिक शिक्षा की अलख जगाने वाले शिक्षकों को मानदेय नहीं मिल पाया है .

प्राप्त जानकारी के अनुसार हरदोई में पंजीकृत मदरसों की संख्या 64 है. जिसमें सिर्फ एक मदरसा पिहानी में एडड है और 43 मदरसों में आधुनिकीकरण शिक्षकों द्वारा अरबी उर्दू भाषा के साथ आधुनिक विषय हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान की शिक्षा बच्चों को दी जा रही है. जिनका मानदेय राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है . ग्राम रहुला के मदरसा जामिया नूरिया मजहरुल उलूम के शिक्षक कमरुद्दीन व मोहम्मद जुबैर का कहना है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा  सन 1993 से संचालित इस योजना के अंतर्गत मानदेय पर शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी .

परंतु इन शिक्षकों को कभी भी समय से मानदेय का भुगतान नहीं किया गया . वहीं मदरसा गरीब नवाज मटियामऊ के अध्यापक रविन्द्र कुमार और सुरेश का कहना है जिस प्रकार से राज्य की योगी सरकार ने मदरसों को आधुनिक तकनीक से जोड़ने, उनका स्तर सुधारने तथा शिक्षकों के मानदेय को समय से भुगतान आदि के लिए मदरसा पोर्टल की शुरुआत की थी वो भी हवा हवाई साबित हुआ . पोर्टल बनने के बाद सभी मदरसों का वैरीफिकेशन तथा यू डाईस कोड आदि मदरसे का पूरा विवरण अपलोड होने के बावजूद भी मदरसों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे उनके गिरते स्तर को रोका जा सके .