मुख्‍तार के दाहिने हाथ मुन्‍ना बजरंगी की बाघपत जेल में गोली मारकर हत्या, क्या ये मर्डर राजनितिक और प्रशासनिक साजिश?

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माफिया डाॅन और मुख्‍तार अंसारी के दाहिने हाथ प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्‍ना बजरंगी ने पूर्वांचल में दहशत और आतंक का माहौल पैदा करने में बड़ी भूमिका निभार्इ। 90 के दशक में उसकी दहशत पूरे पूर्वांचल और इससे सटे इलाकों में महसूस की जाती थी। वर्ष 2005 में गाजीपुर के मोहम्‍मदाबाद से भाजपा विधायक कृष्‍णानंद राय समेत छह लोगों की दिनदहाड़े हत्‍या कर दी।

सोमवार को उसे पूर्व बीएसपी विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में पेश होना था | मुन्ना बजरंगी को रविवार झांसी जेल से बागपत लाया गया था | उसे तन्हाई बैरक में कुख्यात सुनील राठी ओर विक्की सुंहेड़ा के साथ रखा गया था | कहा जाता है सुनील राठी ने मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या कर दी, घटना सोमवार सुबह 6.30 बजे की है | हत्या होने के बाद सूबे में हड़कंप मच गया है | इस हत्या के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने बागपत जिला जेल के जेलर, डिप्टी जेलर सहित चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है।

मुन्ना बजरंगी की हत्या के पीछे पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में सक्रिय सुनील राठी गैंग का हाथ बताया जा रहा है। सुनील राठी यूपी के साथ उत्तराखंड में सक्रिय है। सुनील की मां राजबाला छपरौली से बसपा से चुनाव लड़ चुकी है।पिछले साल 2017 में बसपा के पू्र्व विधायक लोकेश दीछित से मुन्ना बजरंगी और सुल्तीन ने रंगदारी मांगी थी। साथ ही जान से मारने की भी धमकी दी थी। इसी केस में आज उसकी कोर्ट में पेशी थी, रविवार सुबह झांसी जेल से लाकर उसे रात 9 बजे बागपत जेल में शिफ्ट किया था।

आज सुबह सुनील राठी और मुन्ना बजरंगी में झगड़ा हुआ जिसके बाद मुन्ना बजरंगी को गोली मार दी गई। इस दौरान कई राउंड फायरिंग हुई। पुलिस आलाधिकारी जेल में मौजूद हैं और मामले की जांच कर रहे हैं। बताया गया कि कुछ दिन पहले ही मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने अपने पति की जान को खतरा बताया था। मुन्ना की पत्नी ने दो दिन पहले लखनऊ में अपने पति की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था।

जुर्म और राजनीति दुनिया की गलियों का बाहुबलियों का हर जगह असर और दखल रहा है | सत्ता से जुड़े लोग भी इनके प्रभाव से बच नहीं सके, यूपी और बिहार से कई ऐसे बाहुबली मिले जिनके नाम का सिक्का कई राज्यों में चला. लेकिन इसी बीच एक नाम ऐसा भी था जो बाहुबलियों की ताकत बनकर सामने आया. वह नाम प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्‍ना बजरंगी का है |

उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी को कुछ और ही मंजूर था। पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी। जवानी में मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। मुन्ना फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। 17 साल की नाबालिग उम्र में ही पहला मुकदमा दर्ज हुआ। जौनपुर के सुरेही थाने में पहला केस दर्ज हुआ था। मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा। वह अपराध के दलदल में फसता चला गया।

मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था | इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया | साल 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी, इसके बाद उसने गजराज के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करके पूर्वांचल में अपना दम दिखाया |

पूर्वांचल में अपनी साख बढ़ाने के लिए मुन्ना बजरंगी 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया, यह गैंग मऊ से संचालित हो रहा था, लेकिन इसका असर पूरे पूर्वांचल पर था | मुख्तार अंसारी ने अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रखा और 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से विधायक निर्वाचित हुए |

इसके बाद इस गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई | मुन्ना सीधे पर सरकारी ठेकों को प्रभावित करने लगा था | वह लगातार मुख्तार अंसारी के निर्देशन में काम कर रहा था | पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था | लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे |

सन 2000 के दशक में पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा माना जाता था | लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे, कहा जाता है कि कृष्णानंद राय पर मुख्तार के दुश्मन बृजेश सिंह का हाथ था | बृजेश सिंह के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था | इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे | धीरे-धीरे इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़ने लग गए थे | पूर्वांचल में दिनोंदिन कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था | नतीजा यह हुआ कि मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की लड़ाई में कृष्णानंद राय को अपनी जिंदगी गंवानी पड़ी |

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मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची, 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया, उसने अपने साथियों के साथ लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK47 से 400 गोलियां बरसाई थी |

इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे | पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी | इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी | हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा | इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था |

यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी | उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था | दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था | इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया | उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा, इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा, उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे |

उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे | वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था | उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं | 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था | माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था |

इसलिए उसने खुद एक योजना के तहत दिल्ली पुलिस से अपनी गिरफ्तारी कराई थी | मुन्ना की गिरफ्तारी के इस ऑपरेशन में मुंबई पुलिस को भी ऐन वक्त पर शामिल किया गया था | दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के विवादास्पद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना बजरंगी का हाथ होने का शक है | इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया |