मृत कोरोना योद्धाओं के आश्रितों को नहीं मिला मुआवज़ा, सचिवालयों के चक्कर लगा रही फाइलें .

 

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
* मृत कोरोना योद्धा आश्रितों को  50 लाख देने का है प्रावधान .
* पिछले साल से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे आश्रित .

कोरोना की दूसरी लहर के विकराल रूप से हर किसी की रूह थर्राई हुई है. हर शख्स अब फ़ोन की घंटी सुन कर डर जाता है कि न जाने किस अप्रिय घटना की खबर मिलने वाली है, सरकार से लेकर प्रशासन तक सभी से अपने घरों पर रहने की अपील कर रहा है और सिर्फ बहुत ज़रूरी कार्य होने पर ही घर से बहार निकलने की सलाह दे रहा है , वहीँ दूसरी तरफ हमारे फ्रंट लाइन वर्कर्स इस मुश्किल घड़ी में बिना रुके, बिना थके लगातार कार्य कर रहे हैं ताकि किसी आम जन को किसी प्रकार की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े . पिछली कोरोना लहर में तमाम कोरोना वारियर्स ने फ़र्ज़ निभाते हुए अपनी जान दे दी , मगर, दुखद पहलू यह है कि इसमें जिन कोरोना योद्धाओं की जान गई है, उनके आश्रित मुआवजा पाने के लिए भटक रहे हैं।

केंद्र सरकार ने कोरोना योद्धाओं के ड्यूटी के दौरान संक्रमण से मृत्यु होने पर 50 लाख रुपये बीमा की व्यवस्था की है। वहीं, जो कर्मचारी केंद्र की इस बीमा योजना से बाहर हैं, राज्य सरकार ने उस श्रेणी के कार्मिकों में से किसी की संक्रमण से मृत्यु होने पर आश्रित को 50 लाख रुपये एकमुश्त मुआवजा अपने स्तर से देने का आदेश दे रखा है। इसकी स्वीकृति की पूरी प्रक्रिया तय है।इसके बावजूद पिछले साल कोरोना की पहली लहर में ड्यूटी के दौरान संक्रमण की वजह से जान गंवाने वाले कार्मिकों के आश्रितों को मुआवजे के लिए जिले में डीएम व सीएमओ और मुख्यालय स्तर पर निदेशालय व शासन के अनुभागों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

मुरादाबाद में संविदा पर कार्यरत डॉ. महेंद्र पाल सिंह की दो सितंबर 2020 को कोरोना संक्रमण से मृत्यु हो गई। इससे पहले वह कोरोना संक्रमितों के इलाज में ड्यूटी लगी थी। अब उनकी पत्नी अनीता रानी 50 लाख रुपये बीमा मुआवजा पाने के लिए यहां से वहां भटक रही है। सीएमओ ने भुगतान की फाइल नवंबर 2020 में ही मुख्यालय को भेज दी थी। मगर इस पर कोई कार्रवाई न होने पर अनीता ने मुख्यमंत्री के आईजीआरएस पोर्टल पर इसकी शिकायत की।

इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को लिखा। पिछले दिनों प्रदेश के जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह मुरादाबाद गए तो अनीता से उनसे भी अपनी पीड़ा बताई। पर, कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

ऐसे अनगिनत पीड़ित हैं , जो अपने प्रियजन को खोने के बाद अब सरकारी तंत्र के विभागीय लुका- छिप्पी के खेल में फ़से हुए हैं और दर-दर की ठोकरें खाने को मज़बूर हैं. सरकार से उम्मीद है कि ऐसे पीड़ितों की समस्या को तुरंत दूर करना चाहिए , ताकि हमारे कोरोना योद्धाओं के आत्म बल में किसी प्रकार की कोई कमी न रहे.