मोती के फायदे और महत्व

pearl

मोती को अंग्रजी में पर्ल कहते हैं। यह चंद्रमा का रत्‍न है इसलिए इसे चंद्रमा संबंधी दोषों के निवारण के लिए पहनते हैं। प्राचीनकाल से ही मोती का उपयोग विभिन्‍न प्रयोजनों में किया जाता होगा इसलिए इसका वर्णन ऋगवेद में भी मिलता है। मोती रत्न समुद्र में सीपियों द्वारा बनाया जाता है। इस कारण इसकी उपलब्‍धता मुश्किल और कम होती है। अच्‍छी गुणवत्‍ता का मोती बहुत मूल्‍यवान और कम ही पाए जाते हैं। ये सफेद चमकदार और कई आकार में होते हैं लेकिन गोल मोती ही सबसे उत्‍कृष्‍ट माना जाता है और यही खरीदा और बेचा जाता है।

वर्तमान में मोतियों का कल्‍चर भी शुरू हो गया है। समुद्र से सीपियों को पालकर उन्‍हें ऐसी अवस्‍था में रखते हैं कि उनमें मोतियों का प्रोडक्‍शन हो सके। इस प्रक्रिया को ‘पर्ल कल्‍चर’ कहते हैं। इस प्रकार तैयार मोती असली मोतियों की श्र‍ेणियों में ही आते हैं। सभी रत्‍नों में मोती ऐसा रत्‍न है जिसका फैशन इंडस्‍ट्री में बहुत इस्‍तेमाल किया जाता है। वैज्ञानिक रूप से मोती कै‍ल्शियम कार्बोनेट है जो कि अपनी सबसे छोटी क्रिस्‍टेलाइन अवस्‍था में मोती के रूप में पाया जाता है।

रत्न विज्ञान में मोती का बहुत महत्व है। गोल लंबा आकार का मोती, जिसका रंग तेजस्वी सफेद हो तथा उसमें लाल रंग के ध्वज के आकार का सूक्ष्म चिह्न हो तो उसको धारण करने से धारणकर्ता को राज्य की ओर से लक्ष्मी का लाभ होता है।

मोती धारण करने से पहले किसी विशेषज्ञ ज्योतिषी से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए। ऐसे लग्न की कुंडली, जिसमें चंद्र शुभ भाव (केंद्र या‍ त्रिकोण) का स्वामी होता है, लेकिन निर्बल हो तो मोती पहनना लाभदायक होता है। अगर कुंडली के गलत योगों में मोती धारण किया जाता है तो अशुभ फल मिल सकते हैं।

मोती से जुड़ी जानकारी  – रत्न 84 प्रकार के होते हैं। उनमें मोती भी अपने विशेष महत्व को दर्शाता है। चंद्रमा के बलि होने से न केवल मानसिक तनाव से ही छुटकारा मिलता है वरन् कई रोग जैसे पथरी, पेशाब तंत्र की बीमारी, जोड़ों का दर्द आदि से भी राहत मिलती है। यदि चंद्रमा लग्न कुंडली में अशुभ होकर शुभ स्थानों को प्रभावित कर रहा हो तो ऐसी स्थिति में मोती धारण न करें। बल्कि सफेद वस्तु का दान करें, शिव की पूजा-अभिषेक करें, हाथ में सफेद धागा बांधे व चांदी के गिलास में पानी पिएं।