राज्यपाल की मंजूरी के बाद प्रदेश में राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020 लागू, अधिसूचना जारी

कोरोना महामारी को लेकर बने इस कानून के तहत राज्य सरकार व जिला कलेक्टर को मिले कई अधिकार व शक्तियां

रिपोर्ट :-ब्यूरो हेड(राहुल भारद्वाज)
जयपुर :- वैश्विक कोरोना महामारी के बाद देश मे लॉकडाउन लागू किया गया है इस दौरान सरकार को इस महामारी को नियंत्रित करने के दौरान देश और प्रदेश में कई कानूनी अड़चने सामने आई है ।ऐसे में महामारी कानून को लागू करने के साथ उनमें बदलाव करने की सख्त जरूरत महसूस की गई। केन्द्र सरकार के बाद अब राजस्थान सरकार ने भी राज्य में नया महामारी कानून लागू करते हुए कई नये और सख्त नियम बनाए है।इस कानून के तहत राज्य सरकार के साथ ही जिला कलेक्टर्स को कई शक्तियां मिली है ।राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है ।इसके साथ ही प्रदेश में नया कानून लागू हो गया है।

 

कोरोना महामारी से निपटने के लिए राज्य सरकार को मिले पहले से अधिक अधिकार :-

पूरे प्रदेश में राजस्थान महामारी अध्यादेश 2020 को लागू कर दिया है । इस नए कानून के तहत महामारी से निपटने के लिए सरकार को अधिक अधिकार मिले हैं तो बीमारी को फैलाने वाले लोगों को रोकने के लिए भी सख्त प्रावधान किए गए हैं । अब तक राज्य सरकार महामारी से निपटने के लिए एनडीएमए एक्ट में कार्रवाई कर रही है जिसकी वजह से नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई में सरकार को परेशानी हो सकती थी ।इस नए अध्यादेश के साथ ही राज्य में 1957 से चला आ रहा राजस्थान संक्रामक रोग अधिनियम 1957 समाप्त हो गया है |

 

सरकार को राज्य की सीमाओं को सील करने का मिला अधिकार :-

कोरोना महामारी से निपटने के लिए मिले सरकार को मिले इन नए अधिकारों में सरकार को किसी भी भवन का अधिग्रहण करने के साथ ही लॉकडाउन के प्रावधान, दुकानों को खुलने बंद होने या राज्य की सीमाओं को सील करने का अधिकार मिल गया है ।अध्यादेश की धारा चार की उपधारा 2 के अनुसार किसी भी प्रथा या कृत्य के तहत भीड़ एकत्र होने से रोकने, किसी भी व्यक्ति का क्वॉरंटीन करने और निरीक्षण करने, राज्य की सीमाओं का सील करने, निजी और लोक वाहनों के परिवहन को नियमित करने, सामाजिक दूरी के संबंध में आदेश जारी करने, धार्मिक एवं सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ एकत्र करने से रोकने, सरकारी एवं निजी कार्यस्थल पर काम करने वालों को नियमित करने, दुकानों एवं वाणिज्य कार्यालयों खोलने व बंद करने पर प्रतिबंध लगाने, आवश्यक सेवाएं जिसमें मीडिया, स्वास्थ्य सहित अन्य काम उन पर प्रतिबंधित या नियमित करने के अधिकार मिले है ।इस कानून के तहत जिला कलक्टर्स को अधिक शक्तियां दी गई है ताकि कानून की पालना की जा सके ।

 

कानून तोड़ने पर दस हजार रुपए तक जुर्माना या दो साल की सजा का भी किया गया प्रावधान :-

इस अध्यादेश की धारा 5 में पांच में अब कानून तोड़ने पर दस हजार रुपए तक जुर्माना या दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है नियम तोड़ने की दुष्प्रेरण को अपराध माना गया है. इसे संज्ञेय अपराध भी माना गया है अर्थात पुलिस की स्वप्रेरणा से अपराध दर्ज कर सकती है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 अप्रैल, 2020 को एपीडेमिक डिजीज एक्ट 1897 में नए संशोधन का प्रस्ताव करते हुए एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी. जिसमें हेल्थकेयर वर्कर्स पर हमला करने का दोषी पाए जाने पर 6 महीने से लेकर 7 साल तक की कैद का प्रावधान है इसे गैर-जमानती अपराध भी घोषित किया है लेकिन राज्य सरकार ने इस आदेश के तहत कई असीमीत अधिकार भी इसमें जोड़े है सरकार इस अध्यादेश के जरिए आवश्यक सेवाओं के साथ मीडिया के कार्य पर भी प्रतिबंध लगाने या उन्हे नियमित करने का अधिकार रख सकेगी ।