रिलायंस कंपनी भारत में कार्बन फाइबर यूनिट में निवेश करेगी, 30,000 करोड़ रुपये के कंपोजिट्स मार्केट का फायदा उठाएगी

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मुकेश अंबानी नियंत्रित रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआइएल) देश के पहले कार्बन फाइबर यूनिट में बड़ा निवेश करने की योजना बना रही है। आरआइएल ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि वह एयरोस्पेस और रक्षा जैसे क्षेत्रों की जरूरतें पूरी करने के लिए कार्बन फाइबर यूनिट की स्थापना करेगी।

 

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस पहल में किए जा रहे निवेश का ब्यौरा तो नहीं दिया है लेकिन अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि उसने प्लास्टिक और धातु उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला के 3 डी प्रिंटिंग के लिए क्षमताएं विकसित की हैं। इसमें कहा गया है,‘RIL देश की पहली और सबसे बड़ी कार्बन फाइबर उत्पादन इकाई में निवेश कर रही है ताकि भारत की एयरोस्पेस और रक्षा संबंधी जरूरतों को पूरा किया जा सके।

 

कंपोजिट का उद्योगों, रेलवे, रिन्‍यूएबल एनर्जी, डिफेंस और एयरोस्‍पेस में बहुत ज्‍यादा उपयोग होता है। कंपनी ने कहा है कि उसे उम्‍मीद है कि नई शुरू की गई रिलायंस कंपोजिट सॉल्‍यूशंस (आरसीएस) भारत में नंबर वन कंपनी होगी।

 

 

योजना के मुताबिक आरआइएल पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र में नए कारोबार विकसित करने में जुट गई है। इसका मकसद लगभग 30,000 करोड़ रुपये के कंपोजिट्स मार्केट की संभावनाओं का फायदा उठाना है। कंपनी ग्राफीन, विशिष्ट प्लास्टिक और इलास्टोमर तथा फाइबर री-इनफोर्ड्ष प्रोडक्ट के उत्पादन की योजना बना रही है। ये सभी उत्पाद आने वाले दिनों में स्टील की जगह ले सकते हैं। कंपनी का कहना है कि कार्बन फाइबर यूनिट के उत्पाद स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं को मदद देने के अलावा आपदा प्रबंधन और सरकार की ‘सबके लिए आवास’ योजना के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित होंगे।

 

कंपनी ने पिछले साल केमरोक इंडस्ट्रीज की संपत्तियों का अधिग्रहण किया था ताकि कंपोजिट कारोबार में उतर सके। कंपनी ग्लास व कार्बन फाइबर रिइनफोर्स्‍ड पॉलीमर (एफआरपी) जैसे थर्मोसेट कंपोजिट पर ध्यान दे रही है। रिलायंस 30,000 करोड़ रुपए के कंपोजिट बाजार पर कब्‍जा जमाने के लिए पेट्रोके‍मीकल्‍स बिजनेस में नए बिजनेस वर्टिकल का विकास कर रही है।

 

कंपोजिट्स मुख्य तौर पर भौतिक या रासायनिक आधार पर दो बिल्कुल विपरीत गुणों वाली वस्तुओं को इंजीनियरिंग तकनीक की मदद से मिलाकर विकसित किए गए उत्पाद होते हैं। मौजूदा दौर में इनका सबसे सामान्य उदाहरण कार्बन फाइबर है। कार्बन फाइबर का निर्माण रेयॉन, पिच या अन्य तरह की फाइबर छड़ों को बेहद उच्च तापमान से गुजारा जाता है। इससे निकले उत्पाद को धागों की शक्ल दी जाती है और उन्हें रेजिन या अन्य पदार्थो के साथ मिलाकर चादर की शक्ल में बुना जाता है। उससे कई अन्य पदार्थ बनाए जाते हैं। बेहद कम वजन के साथ स्टील के समान या उससे भी ज्यादा ताकत का वहन करना कंपोजिट्स की बड़ी खासियतों में एक है। इसके अलावा वे मौसम की मार भी आसानी से ङोल सकते हैं। उन्हें किसी भी शक्ल में ढाला जा सकता है और उनमें क्षरण की भी संभावना नहीं होती है।